नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंसूर खान ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हमने इसमें गवर्नमेंट को इंडिया को कुछ अनुशंसा भेजे थे। हमने कहा था कि वक्फ एक्ट को माइनॉरिटी मिनिस्ट्री से निकाल के होम मिनिस्ट्री के अंतर्गत ले लेना चाहिए। क्योंकि माइनॉरिटी मिनिस्ट्री न कब्जा रोक पाती है न तो कुछ कार्रवाई कर पाती है, क्योंकि उसके पास पावर नहीं होते।
मेरी अनुशंसा थी कि अगर होम मिनिस्टर या और किसी मिनिस्ट्री, जिसको प्रॉसिक्यूट का पावर है, वो उसे अपने अंडर में ले, तो 70 सालों से वक्फ की प्रॉपर्टीज पर हुए अवैध कब्जों से हमें निजात मिल जाएगी। इसके अलावा कहा कि प्रॉपर्टी वनली फार मुस्लिम, ये कांसेप्ट गलत है।
इस बिल के तहत कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और सत्यापन के पावर दिए गए हैं। इसको लेकर उन्होंने कहा कि हमने इसे होम मिनिस्ट्री के अंतर्गत लेने की बात कही थी। अगर कलेक्टर भी ले लेता, तो बहुत अच्छी बात है। इससे प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जा रोका जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि हम इसका विरोध नहीं करेंगे। वक्फ अगर मुस्लिम कल्याण के लिए था, तो बताएं कि बोर्ड ने 70 वर्षों में मुसलमानों के लिए क्या किया। उन्होंने कहा, कांग्रेस की तरह भाजपा एक राजनीतिक पार्टी है और हर किसी की अपनी राय है। इसमें भाजपा या किसी अन्य पार्टी का क्या मतलब है। वक्फ बिल शरीयत में दखलंदाजी नहीं माना जा सकता।
मंसूर खान ने कहा कि ये देश संविधान से चलता है, शरीयत से नहीं। विपक्ष के विरोध को लेकर उन्होंने कहा कि इन्हीं मुद्दों के तहत विपक्ष जिंदा है। 70 साल तक मुस्लिम तुष्टीकरण के तहत इन लोगों ने मुस्लिम वोट बैंक को जिंदा रखा है।
उन्होंने कहा कि इस बिल के तहत सही तरह से एक्शन लिया जाए तो बड़ा बदलाव हो सकता है।
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