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संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर पहली कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी स्थापित करेगी ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी

प्रकाशित 20/08/2024, 10:36 pm
संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर पहली कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी स्थापित करेगी ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी

सोनीपत, 20 अगस्त (आईएएनएस)। प्रतिष्ठित संस्थान ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर भारत की पहली कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी स्थापित करने जा रही है।'द कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी एंड द राइट एंड फ्रीडम म्यूजियम' एक अद्वितीय पहल है और भारतीय संवैधानिक इतिहास में स्थापित होने वाली एक संस्था है। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) परिसर में इस संग्रहालय का उद्घाटन भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर 26 नवंबर, 2024 को किया जाएगा।

भारतीय संविधान एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जो भारत गणराज्य को संचालित करने वाले ढांचे को परिभाषित करता है। 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया संविधान हमारे देश के मौलिक कानूनों को रेखांकित करता है जो मूल्यों के सिद्धांतों और शासन ढांचे को दर्शाता है। यह राज्य के कामकाज का मार्गदर्शन करता है और इस प्रकार सभी नागरिकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करता है। ऐतिहासिक संघर्षों, दार्शनिक आदर्शों और सामाजिक आकांक्षाओं में निहित इसकी जड़ों के साथ संविधान लोकतंत्र, न्याय और समानता की ओर राष्ट्र की सामूहिक यात्रा का प्रतीक है।

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक चांसलर नवीन जिंदल ने भारतीय लोगों के एकीकरण के प्रतीक के रूप में संविधान के महत्व पर जोर दिया, जिसने इस पहल के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में काम किया।

उन्होंने कहा, '''द कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी एंड द राइट एंड फ्रीडम म्यूजियम' संविधान अकादमी और अधिकार एवं स्वतंत्रता संग्रहालय भारत के संविधान के तहत एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होने की हमारी यात्रा को समर्पित है। हमारे स्वतंत्रता संग्राम की विरासत और भारत के लोगों की समृद्ध विविधता से प्रभावित संविधान एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देता है और एक गणराज्य के रूप में हमारे अस्तित्व को वैधता प्रदान करता है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैली हमारी विविधताओं के बावजूद संविधान हमारी राष्ट्रीय पहचान के एक एकीकृत प्रतीक के रूप में खड़ा है जो हमारे राष्ट्रीय ध्वज के समान विविधता में एकता के सिद्धांत को दर्शाता है। अकादमी और संग्रहालय की स्थापना के साथ हम एक राष्ट्र के रूप में एक साथ इतिहास रचने की हमारी सामूहिक शक्ति में अपने विश्वास की पुष्टि करते हैं। हमारे संविधान सभा के सदस्यों की भावना को याद करते हुए हमारा उद्देश्य अपने छात्रों और राष्ट्र को अपने से बड़ी किसी चीज का हिस्सा बनने की शक्ति की याद दिलाना और अपने देश की प्रगति के लिए प्रेरित करना है। हम उस गहन प्रभाव को उजागर करना चाहते हैं जो एकता और साझा उद्देश्य हासिल कर सकते हैं।''

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने 15 अगस्त 2024 को भारत के संविधान को अपनाने और इसकी 75वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय में 'द कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी एंड द राइट एंड फ्रीडम म्यूजियम' की स्थापना की यह महत्वपूर्ण घोषणा की।

सी. राज कुमार ने कहा, '''द कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी एंड द राइट एंड फ्रीडम म्यूजियम' भारत के संविधान को वास्तव में जीवित, सांस लेने वाले और बढ़ते हुए दस्तावेज के रूप में प्रदर्शित करने का एक उल्लेखनीय प्रयास है। अपनाने के पचहत्तर साल बाद भी, संविधान भारतीयों को प्रेरित करता रहा है, जिसमें बुद्धिजीवी, कानूनी व्यवसायी, इतिहासकार, कलाकार, कार्यकर्ता और सबसे महत्वपूर्ण, आम नागरिक शामिल हैं। इस संग्रहालय के लिए हमारा दृष्टिकोण भारत के संविधान के निर्माण और निर्माताओं दोनों को प्रदर्शित करना है। इस संग्रहालय के लिए हमारा दृष्टिकोण भारत के संविधान के निर्माण और निर्माताओं दोनों को प्रदर्शित करना है, इसमें संविधान सभा के सदस्य शामिल हैं जिन्होंने इस दस्तावेज को बनाया, सामान्य नागरिक जिन्होंने अपने संवैधानिक अधिकारों की मांग की, कानून निर्माता जिन्होंने आवश्यक संशोधनों की शुरुआत की और साथ ही आधुनिक भारत को आकार देने वाले ऐतिहासिक निर्णयों के लिए जिम्मेदार वकील और न्यायाधीश भी शामिल हैं। जेजीयू एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनेगा जब 26 नवंबर, 2024 को संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी का उद्घाटन किया जाएगा।''

भारत के युवा, जो कल के नेता हैं, उनको प्रोत्साहित करने के लिए भारत के संविधान की जानकारी एक प्रकाश स्तंभ और एक स्थापित मार्ग के रूप में काम करती है, जो हमारे देश के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अपनी तरह की पहली 'कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी' एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसकी भारत में किसी अन्य संस्था ने कभी कल्पना नहीं की थी। व्यापक दायरे और व्यापक दृष्टि के साथ संविधान अकादमी हमारे लोकतांत्रिक शासन ढांचे का जीवंत प्रमाण होगी, जिसने भारत को अपने मूलभूत सिद्धांतों में गौरव और विजय प्रदान की है। इस अनूठी अकादमी का निर्माण एक आधुनिक और समकालीन संग्रहालय के रूप में किया जा रहा है, जो भारत के संविधान से जुड़े विभिन्न पहलुओं के वर्तमान दृष्टिकोण और व्याख्याओं को दर्शाता है। इस कालातीत दस्तावेज ने हमारे देश को समानता, विकास, संतुलन और वृद्धि की दिशा में आगे बढ़ाया है, साथ ही अपने लोगों की रक्षा की है और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत की भावना के प्रति सच्चा रहा है।

ऐसी दुनिया में जहां अधिकार और स्वतंत्रता लगातार विकसित हो रही है, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि संविधान हमारा मार्गदर्शक बना रहे, जिससे हमारे युवाओं और नागरिकों को हमारे युवा राष्ट्र की यात्रा और संघर्षों को समझने में मदद मिले।

'कॉन्स्टिट्यूशन एकेडमी' लाइट एंड साउंड का उपयोग करते हुए पिछले 75 वर्षों में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत की यात्रा का जश्न मनाएगी।

प्रोफेसर सी. राज कुमार ने कहा, ''हमारे पास याद रखने के लिए एक अतीत है, एक वर्तमान है जिसे बनाए रखना है, और एक भविष्य है जिसे बनाना है। एकेडमी राष्ट्र में रहने और राष्ट्र के लिए होने की अनिवार्यताओं का भंडार होगी। यह राष्ट्र निर्माण की ऊर्जा का केन्द्र है। भारत के संविधान का जश्न मनाने वाले पहले संस्थागत संग्रहालय के रूप में, इसे एक आभासी स्मृति और भारतीय गणराज्य के निर्माण की दिशा में यात्रा का इतिहास बताने वाले संग्रहालय के रूप में डिजाइन किया जाएगा। एकेडमी स्वतंत्रता और अधिकारों की इच्छा की यादों को संरक्षित करने का एक स्थल होगा और यह एक राष्ट्र के स्व-निर्माण की यादों को इकट्ठा कर इसे प्रदर्शित करने का काम करेगा। यह स्वतंत्रता संग्राम की कहानियां बोलेगा, बलिदानों के गीत गाएगा और एक राष्ट्र के उदय को दिखाएगा। यह मन को रोशन करने के साथ आपके दिल में गूंजेगा और संवैधानिक यात्रा को शानदार ढंग से फिर से बनाकर आपके सपनों को रंग देगा। एकेडमी में संविधान के निर्माण से जुड़े व्यापक ऐतिहासिक डेटा होंगे। यह दर्शाने वाले दस्तावेजों का एक संग्रह मात्र नहीं होगा, यह बताएगा कि 26 नवंबर 1949 से पहले क्या हुआ था।''

यह म्यूजियम संविधान को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान होगा, जिसमें दस्तावेज के प्रत्येक भाग और उसके महत्व को समर्पित सेक्‍शन होंगे। इसमें संविधान सभा के प्रत्येक सदस्य के प्रोफाइल के साथ-साथ जोशीली बहस और विचार-विमर्श भी शामिल होंगे, जिसने समय से पहले एक मजबूत पांडुलिपि को परिष्कृत और निर्मित किया। हमारा उद्देश्य टेक्स्ट, ऑडियो और विजुअल माध्यम से यहां आने वाले विजिटर्स की संविधान, विकास और उसके विभिन्न घटकों में रुचि जगाना है। हमें उम्मीद है कि हम अपने लिए उपलब्ध अधिकारों और स्वतंत्रताओं पर अन्वेषण और विचार-विमर्श को बढ़ावा देंगे। संग्रहालय में प्रदर्शित कला को एक प्रमुख आकर्षण माना जा रहा है, जिसमें मूल हस्तनिर्मित दस्तावेज और संविधान से प्रेरित कलाकृतियां दोनों शामिल होंगी।

एकेडमी और म्यूजियम का संचालन कल्चर एंड सेंटर फॉर म्यूजियम की सीईओ अंजचिता बी. नायर ने किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एकेडमी किस तरह पारंपरिक संग्रहालयों द्वारा अपनाए जाने वाले विशिष्ट एकतरफा लहजे से अलग हटकर अभिनव कहानी कहने के लिए कई प्रारूपों का उपयोग करती है।

उन्होंने कहा, “इस स्थान के पीछे का विचार संविधान के रहस्यों को उजागर करना और इसे व्यापक दर्शकों के लिए सुलभ बनाना है। लोगों की जिज्ञासाओं को जगाने वाले सीखने के एक अवसर के अलावा, हम भारत के संविधान में गर्व और विस्मय की भावना पैदा करना चाहते हैं। हमारा ध्यान संविधान के निर्माताओं की मंशा को समझने और पिछले 75 वर्षों में हमारे द्वारा की गई उथल-पुथल भरी यात्रा की सराहना करने पर है।''

एकेडमी में विशेषज्ञों के साक्षात्कारों का एक संग्रह भी होगा जो संविधान के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से भारत के नागरिकों को गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के विकास पर प्रकाश डालेगा। यह एक ऐसा संग्रह होगा जो संविधान के साथ बढ़ता रहेगा। बच्चों का कोना, अपने इंटरैक्टिव इंस्टॉलेशन, क्विज़िंग स्टेशन, ग्राफिक पैम्फलेट और उपन्यासों के साथ इन जटिल अवधारणाओं को मजेदार, अनुभवात्मक और सुलभ तरीके से पेश करेगा। संविधान अकादमी न केवल संवैधानिक विरासत का दस्तावेजीकरण करने का प्रयास है, बल्कि इसमें योगदान भी देती है। 75वें संविधान दिवस पर, हम उन लोगों की विरासत का सम्मान करेंगे जिन्होंने इस उल्लेखनीय चार्टर को तैयार किया और यह सुनिश्चित करेंगे कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए यह एक जीवंत मार्गदर्शक बना रहे।

--आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

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