📊 देखें कैसे शीर्ष निवेशक अपने पोर्टफोलियो का निर्माण करते हैंविचारों का अन्वेषण करें

चीन से क्यों भाग रही है अमेरिकी कंपनियां, क्या यह भारत में निवेश को बढ़ावा देने का मौका है?

प्रकाशित 25/09/2024, 02:45 am
चीन से क्यों भाग रही है अमेरिकी कंपनियां, क्या यह भारत में निवेश को बढ़ावा देने का मौका है?
USD/CNY
-
AAPL
-
005930
-
USD/CNH
-

नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। दिसंबर 2023 में चीनी सरकार ने अपने कर्मचारियों और फर्म के लिए आईफोन इस्तेमाल करने पर बैन लगा दिया। जिसके बाद चीन में पिछले कुछ वर्षों में काम कर रही अमेरिकी कंपनियों की असहजता में इजाफा देखा गया।आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल इससे कुछ दिन पहले ही चीन में अपने फोन का व्यापक उत्पादन कम करके भारत सहित कई देशों में जगह तलाश रही थी। इसके बाद एप्पल ने भारत में अपने आईफोन उत्पादन का कारखाना लगाया। यह सब यूं ही नहीं हुआ। दरअसल यह अमेरिका और चीन के बीच पिछले कई सालों के चल रहे 'ट्रेड वार' की एक वजह थी।

2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से अमेरिका और चीन के बीच 'ट्रेड वार' की शुरुआत हुई थी। ट्रंप का मानना था कि चीन अमेरिका से तकनीक और पैसे लेकर अमेरिका को ही सामान बेचता है, और पैसे कमाता है, लेकिन वह इसी तकनीक और पैसों के दम पर अमेरिका की ग्लोबल बॉस की छवि को चुनौती भी देता है। ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के कुछ दिनों के बाद ही चीन के 6000 से अधिक उत्पादों पर, जिनकी आयात कीमत करीब 200 अरब डॉलर से ज्यादा थी, इन वस्तुओं पर अलग से 10 फीसदी शुल्क लगा दिया। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर इतना ही शुल्क लगा दिया।

यहां से दोनों देशों के बीच शुरू हुआ 'ट्रेड वार'। इस 'ट्रेड वार' के शुरू होने से चीन में व्यापक स्तर पर उत्पादन और सेवाएं दे रही अमेरिकी कंपनियों को परेशानी होना शुरू हो गई। इसके बाद अमेरिका की बहुत सी कंपनियों ने सस्ते लेबर और प्रोडक्शन के लिए चीन का विकल्प ढूंढने की कोशिश शुरू कर दी। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में बनी ईवी गाड़ियों पर 100 फीसदी, सेमीकंडक्टर्स और सोलर सेल्स पर 50 फीसदी और लिथियम-आयन बैटरीज पर 25 फीसदी शुल्क लगाने के प्रस्ताव को अमेरिका में इस साल दो बार टाला जा चुका है। अमेरिकी कंपनियां भारत, वियतनाम, ताइवान जैसे हर उस देश में उत्पादन के लिए संभावनाएं टटोलने लगी, जहां स्थिर राजनीतिक माहौल में सस्ता लेबर और सर्विसेज मुहैया हो सके।

अमेरिकी कंपनियों की इस आपाधापी के बीच भारत सरकार ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए 2020 में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन), पीएलआई स्कीम को लांच किया। पीएलआई स्कीम के तहत सरकार भारत में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहती थी। यह उन कंपनियों को लाभ और वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए किया जाता है जो देश में निवेश करने के लिए सहमत होती हैं। भारत सरकार के इस कदम के बाद अमेरिका सहित दुनिया की तमाम कंपनियों ने भारत में निवेश करने की शुरुआत की जो ‘ट्रेड वार’, महंगी होते लेबर, बूढ़ी होती जनसंख्या या किसी और वजह से चीन में अपने निवेश को समेट रही थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण दक्षिण कोरिया की मोबाइल मैन्युफैक्चरर कंपनी सैमसंग और अमेरिकी मोबाइल मैन्युफैक्चरर एप्पल है। यह दोनों कंपनियां भारत में अपने सबसे बड़े प्रोडक्शन यूनिट लेकर आई। एक रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2023 तक भारत में 1.03 ट्रिलियन रुपये का निवेश हुआ है, जबकि योजना के कार्यान्वयन के बाद से अब तक निर्यात 3.20 ट्रिलियन रुपये को पार कर गया है।

यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में मंहगे होते लेबर, बूढ़ी होती जनसंख्या और चीन में बढ़ती बेरोजगारी या किसी और वजह से चीन में उत्पादन और सेवाएं दे रही करीब 50 कंपनियां देश छोड़ना चाहती हैं। इन कंपनियों में करीब 40 फीसदी यानी 15 ऐसी कंपनियां हैं, जिनके लिए निवेश करने की सबसे पसंदीदा जगह भारत है।

शंघाई के अमचैम के मुताबिक अमेरिकी कंपनियों के किसी और देश में जाने के ट्रेंड की वजह से चीन में अमेरिकी विदेशी निवेश 2023 में 14 फीसदी गिरकर 163 अरब डॉलर रह गया। चीन छोड़ने की चाहत रखने वाली कंपनियों ने चीन में करीब 12 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया हुआ है। यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के मुताबिक उनके सर्वे में 306 कंपनियों को शामिल किया गया था।

इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत में बढ़ते ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के बढ़ने की वजह से निवेशकों को अब मेक्सिको, अमेरिका और यूरोप की तुलना में भारत में निवेश करना ज्यादा पसंद आ रहा है। निवेशकों की पसंद पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में भारत पिछले साल 5वें नंबर पर था। जबकि इस साल के आते-आते इस रिपोर्ट में भारत दूसरे नंबर पर आ गया है। इसमें पहले नंबर पर दक्षिण पूर्व एशिया के देश आते हैं। इनमें इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देश निवेश करने वाली कंपनियों की पहली पसंद हैं।

हालांकि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनियों को भारत की निवेश परिस्थितियां बहुत पसंद आ रही हैं। 2023 में करीब 40 फीसदी अमेरिकी कंपनियां चीन में अपने भारी-भरकम निवेश की योजना पर आगे बढ़ रही थीं। लेकिन अब यह कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं। मैनेजमेंट कंसल्टिंग क्षेत्र की 54 फीसदी कंपनियों ने भारत में निवेश की इच्छा जताई है। इसके अलावा गारमेंट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कई कंपनियों ने भी भारत में निवेश को लेकर अपनी रूचि दिखाई है।

--आईएएनएस

पीएसएम/जीकेटी

नवीनतम टिप्पणियाँ

हमारा ऐप इंस्टॉल करें
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
फ्यूज़न मीडिया आपको याद दिलाना चाहता है कि इस वेबसाइट में मौजूद डेटा पूर्ण रूप से रियल टाइम एवं सटीक नहीं है। वेबसाइट पर मौजूद डेटा और मूल्य पूर्ण रूप से किसी बाज़ार या एक्सचेंज द्वारा नहीं दिए गए हैं, बल्कि बाज़ार निर्माताओं द्वारा भी दिए गए हो सकते हैं, एवं अतः कीमतों का सटीक ना होना एवं किसी भी बाज़ार में असल कीमत से भिन्न होने का अर्थ है कि कीमतें परिचायक हैं एवं ट्रेडिंग उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। फ्यूज़न मीडिया एवं इस वेबसाइट में दिए गए डेटा का कोई भी प्रदाता आपकी ट्रेडिंग के फलस्वरूप हुए नुकसान या हानि, अथवा इस वेबसाइट में दी गयी जानकारी पर आपके विश्वास के लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।
फ्यूज़न मीडिया एवं/या डेटा प्रदाता की स्पष्ट पूर्व लिखित अनुमति के बिना इस वेबसाइट में मौजूद डेटा का प्रयोग, संचय, पुनरुत्पादन, प्रदर्शन, संशोधन, प्रेषण या वितरण करना निषिद्ध है। सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकार प्रदाताओं एवं/या इस वेबसाइट में मौजूद डेटा प्रदान करने वाले एक्सचेंज द्वारा आरक्षित हैं।
फ्यूज़न मीडिया को विज्ञापनों या विज्ञापनदाताओं के साथ हुई आपकी बातचीत के आधार पर वेबसाइट पर आने वाले विज्ञापनों के लिए मुआवज़ा दिया जा सकता है।
इस समझौते का अंग्रेजी संस्करण मुख्य संस्करण है, जो अंग्रेजी संस्करण और हिंदी संस्करण के बीच विसंगति होने पर प्रभावी होता है।
© 2007-2024 - फ्यूजन मीडिया लिमिटेड सर्वाधिकार सुरक्षित