नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। ओडिशा के पूर्व सीएम नवीन पटनायक भारत के दूसरे सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री के तौर पर अपना 24 साल से भी अधिक का कार्यकाल पूरा किया था। वह शायद देश के सबसे ज्यादा चुप रहने वाले मुख्यमंत्री भी थे जिनको देखकर इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल था कि वह राजनीति के इतने माहिर खिलाड़ी होंगे।यह भी बड़ी खास बात है कि उम्र के पांच दशक बीतने तक वह राजनीति का हिस्सा भी नहीं थे। जबकि, 16 अक्टूबर 1946 में कटक में जन्में नवीन पटनायक को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके पिता बीजू पटनायक ना सिर्फ उड़ीसा के मुख्यमंत्री थे बल्कि जाने माने स्वतंत्रता सेनानी भी थे। लेकिन बीजू पटनायक के रहते रहते नवीन पटनायक का राजनीति से कोई वास्ता नहीं था। वह दिल्ली में रहते थे जहां संजय गांधी उनके क्लासमेट थे।
बीजू पटनायक के निधन तक नवीन पटनायक को उड़िया भाषा तक बोलनी नहीं आती थी। पिता की मौत के बाद उन्होंने अपना पहला भाषण हिंदी में दिया था। पिता के निधन के बाद ही नवीन पटनायक का राजनीतिक करियर शुरू हो गया था। कहीं न कहीं उनका उड़िया न बोल पाना भी ओडिशा के लोगों को कुछ अलग लगा था और यह नवीन के लिए पॉजिटिव ही साबित हुआ था।
26 दिसंबर 1997 को जब बीजू जनता दल एक नई क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर स्थापित हुई थी तब नवीन पटनायक को इसका अध्यक्ष बनाया था। उनके बड़े भाई और बहन की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। इसलिए सबसे छोटे बेटे होने के बावजूद नवीन पटनायक ही अपने पिता के उत्तराधिकारी बने थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद नवीन पटनायक ने उड़ीसा की राजनीति पर अपनी पकड़ मजबूत की थी।
तब नवीन ने पार्टी के नंबर दो नेता बिजॉय महापात्र का टिकट काट दिया। उन्होंने प्यारी मोहन मोहापात्रा जैसे अपने बहुत नजदीकी आईएएस अधिकारी को भी दरकिनार करना शुरू कर दिया। अपने सीएम कार्यकाल की शुरुआत में नवीन पटनायक प्यारी मोहन पर बहुत ज्यादा निर्भर थे। लोगों को लगता था कि प्यारी मोहन पर्दे के पीछे नवीन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन नवीन पटनायक के करीबी जानकारों का मानना था कि नवीन ने लोगों की इस धारणा को जानबूझकर नहीं बदला था। वह निर्दोष बने रहे, जैसे उनको नहीं पता आसपास क्या हो रहा था।
कहा जाता है असल में नवीन पटनायक ने प्यारी मोहन का इस्तेमाल किया था। धीरे-धीरे नवीन पटनायक पूरी तरह से ओडिशा के राजनीतिक फलक पर छा चुके थे। इसके बाद उनकी पारी इतनी लंबी रही कि वह पांच बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बने। साल 2023 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु के भारत के दूसरे सर्वाधिक लंबे समय तक सीएम रहने के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली थी। अपने 24 साल के सीएम कार्यकाल में नवीन पटनायक ने कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं शुरू की, जिससे लोगों को बहुत फायदा हुआ। नवीन पटनायक को इसके बदले लोगों की वफादारी भी मिली और वोट भी।
इस दौरान अपने कार्यकाल में नवीन पटनायक को दोबारा इस बात की कभी चिंता नहीं हुई कि वह उड़िया में बात करें, इंग्लिश में बात करें या हिंदी में...वह इस सीमा से ऊपर जा चुके थे। उनकी छवि साफ सुथरे नेता की बनी रही जिसकी जिंदगी में सादगी बहुत अधिक थी। उनके बारे में बताया जाता है कि न तो उनको कार चलानी आती थी और न ही उन्होंने कभी किसी नामी रेस्त्रां में खाना खाया। उनके घर आने वाला बड़े से बड़ा मेहमान भी उनके रसोईये का ही बना खाना खाते थे।
साल 2024 में नवीन पटनायक की जगह भारतीय जनता पार्टी के मोहन माझी ने ले ली है, जो ओडिशा के 15वें मुख्यमंत्री है।
--आईएएनएस