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जब संविधान लागू हुआ तब आरएसएस ने किया था विरोध, ऐसे लोग आज हमें पाठ पढ़ा रहे हैं : मल्लिकार्जुन खड़गे

प्रकाशित 16/12/2024, 07:47 pm
जब संविधान लागू हुआ तब आरएसएस ने किया था विरोध, ऐसे लोग आज हमें पाठ पढ़ा रहे हैं : मल्लिकार्जुन खड़गे
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नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर राज्यसभा में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जो लोग राष्ट्रीय ध्वज और संविधान का अपमान करते हैं, वो हमें संविधान का पाठ पढ़ा रहे हैं।राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने अपने संबोधन में कहा, "1949 में आरएसएस नेताओं ने भारत के संविधान का विरोध किया क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं था। न तो उन्होंने संविधान को स्वीकार किया और न ही तिरंगे को स्वीकार किया। 26 जनवरी 2002 को पहली बार मजबूरी में आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा फहराया गया था क्योंकि अदालत का आदेश था।"

उन्होंने कहा कि जो लोग राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते हैं, संविधान का अपमान करते हैं, जिस दिन संविधान लागू हुआ उस दिन इन्होंने महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर का पुतला जलाया, अब वो लोग हमें संविधान का पाठ पढ़ा रहे हैं। जो देश के लिए लड़े नहीं, वो आजादी और संविधान का महत्व क्या समझेंगे। संविधान सभा की बहसों से यह स्पष्ट है कि आरएसएस के तत्कालीन नेता संविधान के खिलाफ थे। जो लोग झंडे, अशोक चक्र और संविधान से नफरत करते थे, वे आज हमें संविधान का पाठ पढ़ा रहे हैं। ऐसे लोग अब देश के लिए जान देने वालों के खिलाफ बोलते हैं।"

मल्लिकार्जुन खड़गे ने बांग्लादेश की आजादी का जिक्र करते हुए इंदिरा गांधी को याद किया। उन्होंने कहा कि आज 16 दिसंबर है, जो बांग्लादेश का लिबरेशन डे है। हमारी बहादुर नेता इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करके बांग्लादेश बनाया था और देश की शान पूरी दुनिया में बढ़ाई थी। आयरन लेडी रही इंदिरा गांधी ने ऐसा करके दिखा दिया था कि हमारे देश के नजदीक जो भी आएगा, उसकी खैर नहीं। लेकिन आज बांग्लादेश के जैसे हालात हैं, सरकार के लोग उसे आंख खोल कर देखें और वहां के अल्पसंख्यकों को बचाने का प्रयास करें।

संविधान पर बहस के दौरान राज्यसभा में बोलते हुए खड़गे ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी का नाम लेकर निर्मला सीतारमण और भाजपा नेताओं पर तंज कसा। उन्होंने कहा, "वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण काफी पढ़ी हैं, अर्थशास्त्र की अच्छी जानकार हैं क्योंकि वह जेएनयू से पढ़ी हैं। यहां से पढ़कर कई लोग प्रोग्रेसिव रहे और देश के विकास में अहम योगदान दिया है। मुझे उन्हें बताना है कि मुझे भी पढ़ना आता है। मैंने नगरपालिका के स्कूल में पढ़ाई की है, वहीं उन्होंने (निर्मला सीतारमण) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है, यह निश्चित है कि उनकी अंग्रेजी अच्छी होगी, उनकी हिंदी अच्छी होगी, लेकिन कर्म अच्छे नहीं हैं।"

खड़गे ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि झूठ बोलने से बेहतर है कि वह यह बताएं कि 11 साल में देश को और संविधान को मजबूत करने के लिए उन्होंने क्या किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अतीत में जीते हैं, वर्तमान में नहीं। ऐसा लगता है कि वर्तमान उनकी डिक्शनरी में नहीं है। बेहतर होता कि वह लोकतंत्र को मजबूत करने वाली वर्तमान उपलब्धियों को गिनाते। 11 साल में उन्होंने ऐसा कौन सा काम किया है, जिससे लोकतंत्र और संविधान मजबूत हुआ है। भाजपा देश के लोगों को मूर्ख बनाने के लिए जुमले दे रही है और हम पर आरोप लगा रही है। मैं पीएम मोदी को याद दिलाना चाहता हूं कि देश की आजादी के लिए जिन्होंने लड़ाई लड़ी, उन पर टिप्पणी करने का अधिकार उन्हें नहीं है। नेहरू के खिलाफ नफरत में पीएम मोदी इतना आगे निकल गए कि उन्होंने अंतरिम सरकार, संविधान और अपने नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर भी सवाल उठा दिया।

खड़गे ने आगे कहा कि जिन लोगों ने गरीबों को आर्थिक रूप से कुचल दिया, वह भी हमें आर्थिक मजबूती का पाठ पढ़ा रहे हैं। यदि देश में भू-सुधार, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, मनरेगा, फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट और शिक्षा का अधिकार जैसे काम न हुए होते तो गरीबों का हाल बहुत बुरा होता। जब कई शक्तिशाली देशों में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार नहीं था, महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था, उस समय भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार दिया, महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया। यह कांग्रेस पार्टी की देन है। कांग्रेस ने इस देश को संविधान दिया, वहीं आरएसएस और जनसंघ के लोगों ने हमेशा इसका विरोध किया।

--आईएएनएस

एकेएस/एएस

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