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एक सदस्य के माफी मांगने व दूसरे के इस्तीफे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी पीठ के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की बंद

प्रकाशित 30/10/2023, 07:28 pm
एक सदस्य के माफी मांगने व दूसरे के इस्तीफे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी पीठ के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की बंद

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एनसीएलएटी के दो सदस्यों को कड़ी फटकार लगाई, जिन्हें शीर्ष अदालत के एक आदेश की अवहेलना के लिए अवमानना नोटिस जारी किया गया था।

13 अक्टूबर से एनसीएलएटी की कार्यवाही के प्रासंगिक सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद, सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों का उल्लंघन करने का "स्पष्ट इरादा" मौजूद है।

सदस्य (तकनीकी) डॉ. आलोक श्रीवास्तव द्वारा मांगी गई बिना शर्त माफी के मद्देनजर, पीठ ने अवमानना कार्यवाही को समाप्त करने का फैसला किया।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस. पटवालिया ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया कि सदस्य (न्यायिक) राकेश कुमार, जो एनसीएलएटी की विवादास्पद पीठ का हिस्सा थे,ने अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

सदस्य (न्यायिक) राकेश कुमार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पटवालिया ने कहा कि पीठ के सदस्यों का शीर्ष अदालत द्वारा पारित आदेशों की अवहेलना करने का कोई इरादा नहीं था और इसमें कोई अपमान या अहंकार शामिल नहीं है।

इस पर सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, "इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि वकीलों ने (एनसीएलएटी पीठ के समक्ष) बताया कि उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है।"

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में दीपक छाबड़िया और विवेचक को कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए क्रमशः 1 करोड़ रुपये और 10 लाख रुपये प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करने का निर्देश दिया।

इससे पहले 18 अक्टूबर को, सुप्रीम कोर्ट ने अपने द्वारा पारित निर्देशों की "जानबूझकर" अवहेलना करने के लिए दो सदस्यों को अवमानना ​​नोटिस जारी किया था।

शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ द्वारा पारित फैसले को भी यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि पक्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन से बचने के लिए "कुटिल" तरीकों का सहारा नहीं ले सकते।

13 अक्टूबर को, शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी के अध्यक्ष को अपीलीय न्यायाधिकरण की एक पीठ के कामकाज की जांच करने का आदेश दिया, जिसने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की थी।

इसने कहा था कि वह "असाधारण परिस्थितियों" में आदेश पारित कर रहा है, जहां एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के स्पष्ट आदेश के बावजूद फैसला सुनाने के लिए आगे बढ़ी, जिसमें अपीलीय न्यायाधिकरण को "अपना फैसला" घोषित करने के लिए कहा गया था। लंबित अपील के बाद उसे इस तथ्य से अवगत कराया जाएगा कि वार्षिक आम बैठक का परिणाम घोषित कर दिया गया है।''

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और एन.के. कौल ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया था कि एनसीएलएटी के राकेश कुमार और डॉ आलोक श्रीवास्तव की पीठ ने अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष याचिकाकर्ता द्वारा किए गए अनुरोध के बावजूद आदेश देने के लिए आगे बढ़ाया कि जब तक जांचकर्ता की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हो जाती तब तक निर्णय नहीं दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ''अगर जो कहा गया है वह सही है, तो यह स्पष्ट रूप से एनसीएलएटी द्वारा इस अदालत के आदेश की अवहेलना होगी।''

--आईएएनएस

सीबीटी

पीडीएस/डीपीबी

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