मेरठ 7 नवंबर (आईएएनएस)। हाल ही में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 14 साल के शाहवेज की कुत्ते के काटने से शरीर में रेबीज इन्फेक्शन फैलने से मौत की खबर सामने आई थी। दूसरी घटना उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र में सूर्यापुरम कॉलोनी से सामने आई है।यहां रहने वाले 12 साल के दुष्यंत को करीब 2 महीने पहले गली में घूम रहे आवारा कुत्ते ने काट लिया था। उस वक्त दुष्यंत को निजी चिकित्सक के पास ले गए। चिकित्सक ने टिटनेस का इंजेक्शन लगाकर घर भेज दिया। बाद में धीरे-धीरे रेबीज इन्फेक्शन पूरे शरीर में फैल गया। 1 नवंबर को दुष्यंत को दिक्कत होनी शुरू हो गई।
परिजनों ने एम्स दिल्ली, सफदरजंग दिल्ली और गुरु तेगबहादुर अस्पताल के साथ ही कई बड़े हॉस्पिटल में दिखाया। मगर, डॉक्टरों ने दुष्यंत को लाइलाज घोषित कर दिया। आखिरकार 6 नवंबर को दुष्यंत ने तड़प-तड़प के दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद लोग अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद सचेत हो गए हैं।
मेरठ जिले के प्यारे लाल शर्मा (पीएलएस) जिला अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक सामने आने वाले मामलों की बात करें तो तकरीबन 125 से ज्यादा मामले रोजाना डॉग बाइट के सामने आते हैं।
रेबीज एक बीमारी है जो कि रेबीज नामक विषाणु से होता है। यह मुख्य रूप से पशुओं की बीमारी है। लेकिन संक्रमित पशुओं द्वारा मनुष्यों में भी हो जाती है। यह विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में रहता है और जब कोई पशु मनुष्य को काट लेता है यह विषाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है। यह भी बहुत मुमकिन है कि संक्रमित लार से किसी की आंख, मुंह या खुले घाव से संक्रमण हो सकता है। इस बीमारी के लक्षण मनुष्यों में कई महीनों से लेकर कई वर्षों तक दिखाई देते हैं। लेकिन साधारणतः मनुष्यों में ये लक्षण 1 से 3 महीनों में दिखाई देते हैं। रेबीज से संक्रमित जानवर के काटने से रेबीज का संक्रमण फैलता है। ज्यादातर मामलों में मनुष्यों में यह बीमारी कुत्ते के काटने या खरोंचने से भी होती है (90 प्रतिशत से ज्यादा)।
जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. यशवीर सिंह ने कहा कि रेबीज बीमारी के लक्षण संक्रमित पशुओं के काटने के बाद या कुछ दिनों में लक्षण प्रकट होने लगते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में रोग के लक्षण प्रकट होने में कई दिनों से लेकर कई वर्षों तक लग जाते हैं। रेबीज बीमारी का एक खास लक्षण यह है कि जहां पर पशु काटते हैं, उस जगह की मासपेशियों में सनसनाहट पैदा हो जाती है।
रेबीज बीमारी कुत्तों, बंदरों और बिल्लियों के काटने पर इंसानों में फैलती है। एक बार संक्रमण होने के बाद रेबीज का कोई इलाज नहीं है। हालांकि कुछ लोग जीवित रहने में कामयाब रहे हैं। अगर आपको लगता है कि आप रेबीज के संपर्क में आ गए हैं, तो आपको बीमारी को घातक बनने से रोकने के लिए कई टीके लगवाने होंगे।
मेरठ नगर निगम ने बताया कि साल 2022 में पहले एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया था। जिसमें कुत्तों की नसबंदी शुरू हुई, ताकि उनकी संख्या न बढ़ सके। पिछले डेढ़ साल में नगर निगम द्वारा 11500 आवारा कुत्तों की नसबंदी व एंटी रेबीज टीकाकरण किया गया है।
--आईएएनएस
विमल कुमार/एबीएम