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बिहार में फिर चर्चा में लौटा 'पकड़ौआ विवाह', लड़के को अगवा कर करा दी जाती है शादी

प्रकाशित 03/12/2023, 04:36 pm
बिहार में फिर चर्चा में लौटा 'पकड़ौआ विवाह', लड़के को अगवा  कर करा दी जाती है शादी

पटना, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार में इन दिनों पकड़ौआ विवाह फिर चर्चा में है। वैसे, बिहार में इस विवाह का इतिहास काफी पुराना रहा है। इस विवाह के बाद कई जोड़े सफल वैवाहिक जीवन गुजार रहे हैं तो कई की शादियां टूट भी गई हैं।दरअसल, बिहार में 'पकड़ौआ विवाह' का चलन काफी पुराना है। पकड़ौआ विवाह के लिए न लड़के की सहमति ली जाती है और ना ही लड़की की। इस विवाह में लड़कों को अगवा कर या बहला-फुसलाकर बंधक बना लिया जाता है और फिर रीति-रिवाज के साथ लड़की से विवाह करवा दिया जाता है। इसमें दूल्हा और दुल्हन बने लड़का और लड़की की मर्जी की कोई अहमियत नहीं रहती।

हाल ही में बिहार के वैशाली जिले के पातेपुर थाना क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल से नव नियुक्त शिक्षक को जबरन उठाकर शादी करने का मामला सामने आया है। इसके पहले हालांकि पटना उच्च न्यायालय ने एक फैसले में पकड़ौआ विवाह के विरोध में फैसला दिया है।

बताया जाता है कि 1970 और 80 के दशक में बिहार में इस तरह की शादी बड़ी तेजी से कराई जाती थी। बिहार के कई ऐसे जिले थे, जहां पर इस विवाह का चलन खूब था। ऐसे इलाकों में बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, जहानाबाद, नवादा का नाम शामिल है।

आंकड़ों पर गौर करे तो पुलिस रिकार्ड में पिछले सालों में एक साल में ऐसे दो से तीन हजार मामले दर्ज किए जाते थे। इनमे हालांकि कई मामले प्रेम प्रसंग के भी शामिल हैं।

सामाजिक बुजुर्गों की मानें तो इसका मुख्य कारण बेटी की शादी में दहेज देने में असक्षम होने के कारण लोग नौकरीपेशा लड़कों से शादी करने में असमर्थ होते थे या अच्छे घर में अपनी बेटी की शादी करना चाहते थे। उनके द्वारा इस प्रकार की शादी की शुरुआत की गई।

पहले पकड़ौआ विवाह सामाजिक पहल से संपन्न होती थी, लेकिन बाद में इसमें अपराधी गिरोहों की घुसपैठ हो गई। लोग अपराधियों की मदद से लड़कों का अपहरण करवाने लगे और लड़कियों की शादियां होने लगी।

बताया जाता है कि 1990 के करीब में यह प्रचलन पूरी तरह अपराधियों के चंगुल में था।

गोपालगंज की रहने वाली बीएचयू में समाजशास्त्र की शोधार्थी अन्नू कुमारी आईएएनएस से कहती हैं कि पकड़ौआ विवाह का सबसे बड़ा कारण दहेज की मांग और लड़कियों में अशिक्षा है। ऐसे में अभिभावक नहीं चाहते हुए भी ऐसे विवाह की ओर उन्मुख होते हैं।

उन्होंने कहा कि आज गिने चुने मामले सामने आते हैं। आज लड़कियां भी पढ़ी लिखी हैं और जीवन के फैसला खुद ले भी रही हैं।

इधर, आईटीआई बिहटा कॉलेज की मनोविज्ञान की प्रोफेसर कुमारी शालिनी का मानना है कि इस तरह का विवाह सामंती विचारधारा की उपज रही है। इसका चलन बिहार में देखा जाता है। वे कहती है दूसरी तरफ इसे विकृति भी मानी जाएगी जहां लोग लड़की की शादी कर अपना बोझ उतरना समझते हैं।

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अब यह विकृति कम हो रही हैं।

पुलिस के अधिकारी भी इसे अपराधिक घटना ही मानते हैं। एक पुलिस अधिकारी बताते हैं कि जो भी मामले सामने आते हैं इस पर कारवाई की जाती है। वे भी मानते हैं कि शादी विवाह के मौसम कुछ मामले सामने आते हैं।

--आईएएनएस

एमएनपी/एसकेपी

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