तिरुवनंतपुरम, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। केरल के सार्वजनिक निर्देश निदेशक एस. शानवास ने मंगलवार को शिक्षा की गुणवत्ता पर 'चिंता' व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता गिर रही है।शानवास ने स्कूल के शिक्षकों के साथ बातचीत के दौरान कहा, ''वे दिन गए, जब केरल में शिक्षा की गुणवत्ता की तुलना यूरोप से की जाती थी। अब इसकी तुलना बिहार से की जा रही है। शानवास मार्च 2024 में होने वाली दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षा के संचालन पर चर्चा करने के लिए शिक्षकों से मिले थे।"
उन्होंने कहा कि हर साल करीब 69,000 छात्रों को ए प्लस मिलता है, लेकिन इनमें से ऐसे भी छात्र हैं जो सही ढंग से लिखना भी नहीं जानते। उनमें से कुछ तो अपना नाम भी सही ढंग से लिखना नहीं जानते। यह अन्य छात्रों के साथ घोर अन्याय है।
शानवास की टिप्पणी के बाद, राज्य में हंगामा मच गया। इसके बाद राज्य के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी को प्रतिक्रिया देनी पड़ी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की नियमित बैठक के दौरान दिए गए बयान पर ज्यादा गौर करने की जरूरत नहीं है। इन टिप्पणियों को राज्य सरकार की टिप्पणियों के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार की नीति राज्य में शिक्षा मानकों की सुरक्षा और गुणवत्ता में सुधार करना है। केरल के शिक्षा मानकों की यूनिसेफ द्वारा सराहना की गई है और राष्ट्रीय रैंकिंग में भी इसे उच्च स्थान दिया गया है। हमारा उद्देश्य इसे और भी मजबूत करना है।
विपक्ष के नेता (एलओपी) वीडी सतीसन ने कहा कि सरकार को जो बताया गया है उस पर ध्यान देना चाहिए। केरल में, दसवीं कक्षा का उत्तीर्ण प्रतिशत 99 प्रतिशत तक पहुंच गया, जबकि तीन दशक पहले यह लगभग 60 से 70 प्रतिशत था।
2023 में लगभग 4.5 लाख छात्र एसएसएलसी कक्षा दसवीं सार्वजनिक परीक्षा के लिए उपस्थित हुए और कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 99.70 था।
--आईएएनएस
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