नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद सीवोटर द्वारा किए गए एक विशेष सर्वेक्षण से पता चलता है कि उत्तरदाताओं का एक बड़ा हिस्सा जम्मू-कश्मीर में न केवल पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होते देखना चाहता है, बल्कि वहां जल्द विधानसभा चुनाव भी चाहता है।5 अगस्त, 2019 से जम्मू और कश्मीर को केंद्र द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के रूप में प्रशासित किया गया है और लद्दाख भी एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया है।
सीवोटर सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, कुल मिलाकर 64 प्रतिशत उत्तरदाताओं की राय है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य बनना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के भीतर भी जम्मू क्षेत्र में 73 प्रतिशत और कश्मीर घाटी में 71 प्रतिशत लोग समान विचार रखते हैं।
अधिकांश लोग यह भी चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव हों। कुल मिलाकर, तीन-चौथाई उत्तरदाताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव तुरंत या 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ होने चाहिए।
जम्मू क्षेत्र में चार-पांचवें उत्तरदाता शीघ्र विधानसभा चुनाव चाहते हैं, जबकि कश्मीर घाटी में तीन-चौथाई उत्तरदाताओं का यही विचार है।
1952 से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 जम्मू और कश्मीर में लागू थे, जिससे राज्य को एक विशिष्ट और विशेष पहचान के साथ-साथ यह चुनने की वास्तविक शक्तियाँ मिलीं कि भारतीय संसद द्वारा पारित कौन से कानून राज्य में लागू किए जाएंगे।
5 अगस्त, 2019 को लोकसभा चुनाव में भारी जनादेश जीतने के तुरंत बाद मौजूदा शासन ने संसद के दोनों सदनों में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाला एक विधेयक पारित किया।
फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं, जिसने उन्हें एक साथ जोड़ दिया।
सोमवार को पांच जजों की पीठ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखते हुए सर्वसम्मति से फैसला सुनाया।
--आईएएनएस
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