नई दिल्ली, 15 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय सेनाएं लगातार नई टेक्नोलॉजी हासिल करने के साथ उन्हें अपनी फील्ड में लागू कर रही हैं। टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग को लेकर भारतीय नौसेना ने आईआईटी के साथ भी एक विशेष समझौता किया है। इसके अंतर्गत भारतीय नौसेना और आईआईटी, डिफेंस टेक्नोलॉजी से जुड़ी इंजीनियरिंग में साथ काम करेंगे। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय नौसेना और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित नौसेना मुख्यालय में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह समझौता ज्ञापन प्रौद्योगिकी विकास, नवीन समाधान और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मटेरियल (डॉकयार्ड एंड रिफिट्स) के सहायक प्रमुख रियर एडमिरल के. श्रीनिवास और आईआईटी कानपुर के कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर सुब्रमण्यम गणेश ने इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। भारतीय नौसेना और आईआईटी कानपुर रक्षा प्रौद्योगिकियों से संबंधित इंजीनियरिंग के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियों के अकादमिक आदान-प्रदान में साझा रुचि रखते हैं।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह समझौता ज्ञापन एक व्यापक ढांचे के रूप में काम करेगा। दोनों पक्षों को क्षमता निर्माण को बढ़ाने, क्षेत्र स्तर के मुद्दों का समाधान प्रदान करने और फैकल्टी लेक्चर के आदान-प्रदान में मदद करेगा। इसके माध्यम से प्रशिक्षण संबंधी प्रभावशीलता को बढ़ाने में भी यह समझौता समर्थ करेगा। यह व्यवस्थित सहयोग एक ऐसे संयुक्त अनुसंधान और विकास संबंधी पहल पर केन्द्रित है, जिसमें लोनावला के आईएनएस शिवाजी के उत्कृष्टता केंद्र (समुद्री इंजीनियरिंग) और आईआईटी कानपुर की टीमें शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह रणनीतिक जुड़ाव नवाचार और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने, शिक्षा जगत और सशस्त्र बलों के बीच एक प्रतीकात्मक संबंध की दिशा में एक कदम का प्रतीक है।
--आईएएनएस
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