जयपुर, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को नवनिर्वाचित सीएम भजनलाल शर्मा के सिर पर अपना हाथ रखा, जिसकी राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा हो रही है।
सीएम पद की शपथ लेने के बाद भजनलाल शर्मा शुक्रवार को कई केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ सचिवालय पहुंचे।
पदभार ग्रहण करने के बाद भजनलाल ने वसुंधरा राजे को मिठाई खिलाई, तो वसुंधरा ने भजनलाल के सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया।
जो वसुंधरा 11वें घंटे तक सीएम चेहरा बनने की कोशिश कर रही थीं, उन्होंने शर्मा के सिर पर हाथ क्यों रखा? क्या उन्होंने ऐसा स्वेच्छा से किया या आलाकमान के दबाव में? क्या उन्होंने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि आलाकमान नहीं चाहता था कि वे सीएम पद संभालें?
शपथ ग्रहण समारोह के बाद राजस्थान के सियासी गलियारों में ये सवाल उठ रहे हैं।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि नए सीएम के सिर पर हाथ रखने के कई राजनीतिक संदेश हैं। इससे पहले, वह वसुंधरा राजे ही थीं, जिन्होंने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक में भजनलाल के नाम की घोषणा की थी, जिन्हें सीएम के नाम को अंतिम रूप देने के लिए जयपुर भेजा गया था।
उस दिन एक बैठक में वसुंधरा राजे की बॉडी लैंग्वेज को लेकर खूब चर्चा हुई थी। सीएम के रूप में शर्मा के नाम की चिट खोलने के बाद उनके स्तब्ध चेहरे की तस्वीरें वायरल हो गईं थीं।
हालांकि, बाद में राजे ने भजनलाल शर्मा के शपथ ग्रहण से लेकर उनके कार्यभार संभालने तक सभी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि नैरेटिव बदलने की कोशिश की गई।
इससे पहले चुनाव नतीजे आने के बाद कई विधायक वसुंधरा राजे के आवास पर पहुंचे थे। इसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया, लेकिन बाद में उस धारणा को बदलने की कोशिश की गई।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी नेतृत्व भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं की सहमति चाहता था और इसे इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
चुनाव से पहले संभावित सीएम के तौर पर करीब 10 नाम चर्चा में थे। किसी भी नेता ने खुद को दावेदार नहीं बताया, लेकिन समर्थकों के माध्यम से दावेदारी कर रहे थे। बीजेपी आलाकमान ने सभी दावेदारों को दरकिनार करते हुए नवागत भजनलाल शर्मा को सीएम बना दिया।
नतीजे आने के बाद से लेकर मुख्यमंत्री तय होने तक कई घटनाओं से पार्टी में अंदरूनी फूट का संदेश गया। बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना था कि यह धारणा भविष्य में नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए डैमेज कंट्रोल शुरू किया गया।
केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं को नए सीएम के कार्यभार संभालने के समय उपस्थित रहने का निर्देश दिया और इसलिए सभी नेताओं ने सीएमओ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और एकजुट होकर प्रदर्शन किया।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, बीजेपी अब लोकसभा चुनाव को विधानसभा चुनाव के नतीजों के मुताबिक पेश करने में जुटी है। संसदीय चुनाव में करीब पांच महीने बचे हैं।
लोकसभा चुनाव नए सीएम भजनलाल के लिए लिटमस टेस्ट होगा। विधानसभा चुनाव के नतीजों को अगर लोकसभा सीटों के लिहाज से देखा जाए, तो शेखावाटी, वागड़ और नहरी इलाके में पार्टी ने खराब प्रदर्शन किया है।
अब पार्टी को लोकसभा चुनाव की तैयारियों के साथ-साथ स्थानीय राजनीतिक समीकरणों को भी अपने पक्ष में करना है, इसलिए एकजुटता दिखाने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रमुख नेताओं का एक साथ आना जरूरी माना गया।
बीजेपी आलाकमान लगातार राजस्थान को लेकर रिपोर्ट मांग रहा है। विधानसभा चुनाव के बाद बदले हालात को देखते हुए यहां के घटनाक्रम पर पैनी नजर रखी जा रही है।
बीजेपी की झोली में 25 लोकसभा सीटें लाने का लक्ष्य है।
पार्टी पहले ही दो डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को नियुक्त करके सोशल इंजीनियरिंग का प्रबंधन कर चुकी है।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद शुक्रवार को बैरवा और दीया कुमारी ने भी पदभार ग्रहण कर लिया। पदभार ग्रहण करते समय डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया।
इसे नई पीढ़ी को कमान सौंपने के तौर पर देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर जहां बीजेपी परिवार की खुशहाल तस्वीरें वायरल हो रही हैं, वहीं कांग्रेस सरकार की एकजुट रंगीन तस्वीर की भी दबी जुबान से चर्चा हो रही है, जो 2018 में सत्ता में आते ही शेयर की गई थी।
कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट और अशोक गहलोत के साथ राहुल गांधी की तस्वीर 'यूनाइटेड कलर्स ऑफ कांग्रेस' टैगलाइन के साथ पोस्ट की गई थी, जो वायरल भी हुई।
हालांकि, अगले पांच वर्षों में, कांग्रेस में दो खेमों के बीच रस्साकशी जारी रही, इसके कारण लोकसभा और हालिया विधानसभा चुनावों में उसकी हार हुई।
--आईएएनएस
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