पटना, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से ड्रोन के जरिए सुदूरवर्ती गांवों और इलाकों में जीवन रक्षक दवाएं भेजने का ट्रायल शनिवार को सफल रहा। ट्रायल के दौरान ड्रोन को दवा लेकर एम्स के एक से दूसरे कोने तक भेजा गया। पहले दवा नौबतपुर पीएचसी पहुंचाने की योजना बनाई गई थी, कोहरे के कारण योजना रद्द कर दिया गया।
पटना एम्स के निदेशक डॉ. जीके पाल ने बताया कि यह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के मार्गदर्शन में हुआ। निदेशक ने बताया कि यह प्रदर्शन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ड्रोन प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसे केंद्रीय मंत्री डॉ. मंडाविया के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन में स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी आईएनआई में कार्यान्वित किया गया।
निदेशक ने कहा कि यह स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव है। ड्रोन समिति के सदस्य सचिव डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि सुदूरवर्ती गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में दिक्कत आती है। एम्स ने भविष्य में इस ड्रोन से 250 किमी दूर तक दवा पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसमें पांच किलो तक दवाएं ले जाने की क्षमता होगी।
उन्होंने बताया कि ड्रोन पूरी तरह ऑटोमेटिक मोड पर चलेगा, जिसमें सिर्फ रूट मैप फीड करने की जरूरत होगी। पक्षियों से बचाव के लिए भी ड्रोन में सेंसर लगा रहता है। पहला ट्रायल पूरी तरह सफल रहा, आगे और ट्रायल किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि गांवों में ड्रोन दीदी (स्वयं सहायता समूह की महिला) दवा को ड्रोन से निकालेंगी। उन्हें पूर्व से प्रशिक्षण दिया गया है। ड्रोन की देखभाल के लिए चार सदस्यीय टीम बनाई गई है। इनमें निदेशक डॉ. जीके पाल, डॉ. संजय पांडेय, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. विनोदपति और निलोत्पल शामिल हैं।
--आईएएनएस
एमएनपी/एबीएम