कोच्चि, 8 जनवरी (आईएएनएस)। केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को लोकायुक्त और उप लोकायुक्त के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और अन्य के खिलाफ मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष (सीएमडीआरएफ) से धन निकालकर दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाने वाली शिकायत को खारिज कर दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश ए.जे. देसाई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने देसाई ने विजयन को उच्च न्यायालय के नियम 51डी के तहत (नोटिस के बजाय) एक पत्र जारी करते हुए कहा, "हम इसे स्वीकार करेंगे और हर चीज पर विचार करेंगे।"
याचिकाकर्ता आर.एस. शशिकुमार ने राज्य सरकार द्वारा "दुरुपयोग" के कुछ उदाहरणों की ओर इशारा किया है, जिसमें एक राजनीतिक दल के नेता दिवंगत उझावूर विजयन, जो विजयन सरकार का हिस्सा थे, के परिवार को वित्तीय सहायता देना भी शामिल है। उझावूर के चिकित्सा पर हुए खर्च और उनके दो बच्चों की शिक्षा के खर्च के लिए सीएमडीआरएफ से 25 लाख रुपये मंजूर किए गए थे।
एक अन्य मामला दिवंगत सीपीआई-एम विधायक के.के.रामचंद्रन नायर को सीएमडीआरएफ से सहायता देने से संबंधित है। उनके द्वारा सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थानों से लिए गए ऋण का बकाया चुकाने और उनके बेटे को सरकारी नौकरी देने और कानूनी उत्तराधिकारियों को 20 लाख रुपये का भुगतान किए जाने का था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि दिवंगत पुलिस अधिकारी पी. प्रवीण, जिनकी पूर्व गृहमंत्री और सीपीआई-एम के राज्य सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन के लिए एस्कॉर्ट ड्यूटी करते समय एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, के परिवार को आर्थिक मदद दी गई। उसने दावा किया कि यह सब भ्रष्टाचार, पक्षपात और भाई-भतीजावाद से प्रेरित था।
शशिकुमार ने लोकायुक्त और उप लोकायुक्त से संपर्क किया था, जिन्होंने शिकायत को खारिज कर दिया और पाया कि सीएमडीआरएफ से धन आवंटित करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास था, इसलिए उन्होंने उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की।
शशिकुमार ने बताया कि नोटिस विजयन के नाम पर भेजा गया है और यह एक गंभीर बात है और इसके सामने आने के तुरंत बाद विपक्ष के नेता और अनुभवी कांग्रेस विधायक रमेश चेन्निथला ने कहा कि अदालत ने नोटिस भेजा है।.
--आईएएनएस
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