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आज देश में सबसे पहले गरीबों के बारे में सोचने वाली सरकार है : पीएम मोदी

प्रकाशित 15/01/2024, 11:59 pm
आज देश में सबसे पहले गरीबों के बारे में सोचने वाली सरकार है : पीएम मोदी

नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। देश के आदिवासी समुदाय और जनजातीय समाज की संस्कृति और सम्मान के लिए काम करने का दावा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज देश में वो सरकार है, जो सबसे पहले गरीबों के बारे में सोचती है, जिनके पास कुछ नहीं है, सरकार सबसे पहले उनके सुख-दुख की चिंता कर रही है। पीएम-जनमन के अंतर्गत पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के एक लाख लाभार्थियों को पहली किस्त जारी करने और लाभार्थियों से बातचीत करने के बाद अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अभी कुछ दिन बाद 22 जनवरी को रामलला भी अपने भव्य और दिव्य मंदिर में हमें दर्शन देंगे। उनका सौभाग्य है कि उन्हें राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में बुलाया गया है और जब आपने उन्हें इतना बड़ा दायित्व दिया है तो उन्होंने भी 11 दिन व्रत अनुष्ठान का एक संकल्प किया हुआ है, वे श्री राम का ध्यान स्मरण कर रहे हैं और आप तो जानते ही हैं, जब आप प्रभु राम का स्मरण करेंगे तो माता शबरी की याद आना बहुत स्वाभाविक है।

"अयोध्या से जब राम निकले थे, तब तो वो राजकुमार राम थे, लेकिन, राजकुमार राम मर्यादा पुरुषोत्तम के इस रूप में हमारे सामने आए क्योंकि माता शबरी हो, केवट हो, निषादराज हो, ना जाने कौन-कौन से लोग, जिनके सहयोग, जिनके सानिध्य ने राजकुमार राम को प्रभु राम बना दिया।"

उन्होंने कहा कि त्रेता में राजा राम की कथा हो या आज की राज कथा, बिना गरीब, बिना वंचित, बिना वनवासी भाई-बहनों के कल्याण के संभव ही नहीं है। इसी सोच के साथ हम लगातार काम कर रहे हैं। हमने 10 साल गरीबों के लिए समर्पित किए, 10 साल में गरीबों को 4 करोड़ पक्के घर बनाकर दिए हैं। जिनको कभी किसी ने पूछा नहीं, उनको मोदी आज पूछता भी है, पूजता भी है।

देश के विभिन्न राज्यों से जुड़े आदिवासियों को वर्चुअली संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि इसी कड़ी में आज आप सभी अति-पिछड़े जनजातीय भाई-बहनों को पक्के मकान देने की शुरुआत हुई है। अभी इस कार्यक्रम में एक लाख जनजातीय लाभार्थियों के बैंक खातों में पक्के घर बनाने के लिए सरकार ने सीधे पैसे ट्रांसफर किए हैं। आपको अपना घर बनाने के लिए लगभग एक-एक घर के लिए ढाई लाख रुपए सरकार से मिलेंगे। आज 1 लाख लाभार्थियों को अपने घर का पैसा मिला है। एक-एक कर हर लाभार्थी तक, चाहे वो कितनी भी दूर क्यों ना हो, हमारी सरकार उस तक जरूर पहुंचेगी।

उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस साल की दीपावली आप अपने घरों में जरूर मनाएंगे। सरकार आप तक पहुंचे, सरकार की योजनाएं अति-पिछड़े जनजातीय भाई-बहन तक पहुंचें, यही पीएम जनमन महाअभियान का उद्देश्य है। इसलिए, सरकार, पीएम जनमन महा-अभियान पर 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रही है।

उन्होंने कहा कि अति-पिछड़े जनजातीय समुदाय के भाई-बहन देश के करीब-करीब 190 जिलों में रहते हैं। सिर्फ दो महीने के भीतर सरकार ने ऐसे 80 हजार से ज्यादा अति-पिछड़े जनजातीय परिवारजन, मेरे भाई-बहनों को खोजकर उन्हें आयुष्मान कार्ड दिया, जो अब तक उन तक पहुंचा ही नहीं था। इसी तरह सरकार ने अति-पिछड़े जनजातीय समुदाय के करीब 30 हजार किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि से जोड़ा है। सरकार पूरी ताकत लगा रही है कि अति-पिछड़े जनजातीय लोगों तक सरकार की हर योजना जल्द से जल्द पहुंचे।

प्रधानमंत्री ने सिकल सेल (NS:SAIL) अनीमिया के खतरों का जिक्र करते हुए कहा कि इस बीमारी से आदिवासी समाज की कई-कई पीढ़ियां प्रभावित रहीं हैं। अब सरकार कोशिश में जुटी है कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाली ये बीमारी जड़ से ही समाप्त हो। इसलिए, सरकार ने देश भर में एक अभियान शुरु किया है। विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान भी सिकल सेल की जांच की जा रही है। पिछले 2 महीनों में 40 लाख से ज्यादा लोगों का सिकल सेल परीक्षण किया जा चुका है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जनजाति से जुड़ी योजनाओं का बजट उनकी सरकार ने 5 गुना ज्यादा बढ़ा दिया है। बच्चों की पढ़ाई के लिए पहले जो छात्रवृत्ति मिलती थी, अब उसका कुल बजट भी ढाई गुना से ज्यादा कर दिया गया है। 10 साल पहले तक हमारे देश में आदिवासी बच्चों के लिए केवल 90 एकलव्य मॉडल स्कूल थे। जबकि, हमने बीते 10 साल में 500 से ज्यादा नए एकलव्य मॉडल स्कूल बनाने का काम शुरू किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पूरे आदिवासी समाज की आमदनी को बढ़ाने के लिए हर स्तर पर कोशिश कर रहे हैं। आदिवासी साथियों के लिए वन-उपज बहुत बड़ा सहारा है। 2014 से पहले करीब 10 वन उपजों के लिए ही एमएसपी तय की जाती थी। हम लगभग 90 वन उपजों को एसएसपी के दायरे में लाए हैं। वन उपजों के अधिक से अधिक दाम मिले, इसके लिए हमने वनधन योजना बनाई। आज इस योजना के लाखों लाभार्थियों में बहुत बड़ी संख्या बहनों की है। बीते 10 वर्षों में आदिवासी परिवारों को 23 लाख पट्टे जारी किए जा चुके हैं।

--आईएएनएस

एसटीपी/एबीएम

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