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छत्तीसगढ़ से कौशल्या, राम और शबरी का अनूठा रिश्ता, सियासत पर गहराने लगी अयोध्या की छाया !

प्रकाशित 27/01/2024, 08:38 pm
छत्तीसगढ़ से कौशल्या, राम और शबरी का अनूठा रिश्ता, सियासत पर गहराने लगी अयोध्या की छाया !

रायपुर, 27 जनवरी (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ की सियासत पर अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की छाया लोकसभा चुनाव से पहले ही गहराने लगी है। इसकी वजह भी है क्योंकि मां कौशल्या का मायका और राम का ननिहाल छत्तीसगढ़ को माना जाता है। इतना ही नहीं वनवास काल में राम ने शबरी के जूठे बेर भी यहीं खाए थे।राज्य में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल कर सत्ता में वापसी की और अब पार्टी की पूरी नजर लोकसभा की 11 सीटों पर है। वर्तमान में इन 11 सीटों में से र भाजपा और 2 कांग्रेस के पास है।

अब भाजपा की रणनीति सभी 11 सीटों पर जीत दर्ज करने की है। चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का राज्य की सियासत पर गहरा असर नजर आ रहा है।

राज्य में जब कांग्रेस की भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार थी तो राम वन गमन पथ के विकास की योजना बनी, उस पर काम भी हुआ और भगवान राम की प्रतिमाएं भी स्थापित हुईं।

अब राज्य में भाजपा की सरकार है और अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। लिहाजा भाजपा राम गमन पथ के विकास के साथ भगवान राम से जुड़े अन्य स्थलों के विकास पर जोर देना शुरू कर दिया है।

भाजपा की विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली सरकार ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर राज्य से चावल और सब्जियों की खेप भेजी, जिसका वहां प्रसाद लगाया गया, साथ ही चिकित्सकों का दल भी गया है। इसके अलावा वहां राज्य सरकार की ओर से भंडारा भी शुरू किया गया है।

गणतंत्र दिवस समारोह में भी मुख्यमंत्री साय ने भगवान राम और छत्तीसगढ़ के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान राम के प्रति अटूट श्रद्धा हमारी पहचान है और हम 'रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाए' का अनुसरण करते हैं। जो वादे किए गए हैं, उन्हें पूरा किया जा रहा है।

कांग्रेस की ओर से राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इनकार करने पर भी भाजपा ने जमकर हमले बोले और कहा कि कांग्रेस शुरू से ही राम जन्मभूमि पर मंदिर का विरोध कर रही है और उसने रास्ते में रोड़ा अटकाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। उसके पास अपने पाप और अपराध को धोने का मौका था, लेकिन, वह भी उसने गंवा दिया।

दूसरी ओर कांग्रेस लगातार भाजपा पर राम मंदिर के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाती रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने तो यहां तक कहा कि भाजपा हमेशा से भगवान राम के नाम पर राजनीति करती आई है और वोट मांगती आई है लेकिन कांग्रेस पार्टी ने कभी भगवान राम के नाम पर राजनीति नहीं की। भगवान राम हमारी आस्था से जुड़े हैं, वह हमारे दिल में हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का तो शंकराचार्य तक ने विरोध किया, मगर, उनकी बातों को भी अनसुना कर दिया गया। यह धर्म गुरुओं का अपमान है।

कांग्रेस लगातार भाजपा पर आरोप लगाती है। मगर वह भी इस बात को लेकर चिंतित है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को एक बड़ा मुद्दा बन सकती है। कांग्रेस के पास सीधे तौर पर इसकी कोई काट नहीं है।

छत्तीसगढ़ के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के पास एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा रहेगा, उनकी योजनाओं की चर्चा होगी तो दूसरी ओर भाजपा राम मंदिर को भी मुद्दा बनाने में पीछे नहीं रहेगी।

राज्य में कांग्रेस की सरकार थी तो उसने भी राम से जुड़े स्थलों के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। मगर, प्रचार के मामले में कांग्रेस पीछे रह गई। अब अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई है और भाजपा राम मंदिर को लेकर पूरे राज्य में सक्रिय है। चुनाव में भाजपा इसके जरिए अपने पक्ष में माहौल भी बना सकती है।

--आईएएनएस

एसएनपी/एबीएम

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