नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। छात्रों के साथ 'परीक्षा पर चर्चा' करते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वयं को प्रेशर झेलने के लिए सामर्थ्यवान बनाना चाहिए। यह मानकर चलना चाहिए जीवन में दबाव तो बनता रहता है। प्रधानमंत्री ने छात्रों को पढ़ाई करने के साथ-साथ अच्छी नींद, संतुलित आहार व फिजिकल एक्टिविटी के लिए भी प्रेरित किया।चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री से पहला प्रश्न ओमान में भारतीय स्कूल की छात्रा डेन्या ने पूछा। दिल्ली के कक्षा 12 के छात्र अर्श व अन्य छात्रों ने पूछा कि सामाजिक अपेक्षाएं दबाव बनाती हैं और इन दबाव से कैसे बाहर निकल सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक दबाव वह होता है जो हमने खुद ही तैयार किया है, मसलन सुबह इतने बजे उठना ही उठना है, इतने प्रश्न हल करने ही हैं। हमें धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए, जितना हमने आज किया अगले दिन उससे थोड़ा आगे बढ़कर करें।
पीएम ने कहा कि दूसरा दबाव माता-पिता उत्पन्न करते हैं। यह क्यों नहीं किया, वह क्यों नहीं किया, क्यों सोते रहे, जल्दी उठो, पता नहीं एग्जाम है। दोस्तों से तुलना करते हैं, कहते हैं सहपाठी को देखो वह कितना अच्छा कर रहा है। तीसरा दबाव ऐसा होता है जिसमें कारण कुछ नहीं है, बस समझ का अभाव है। बिना कारण किसी चीज को संकट मान लेते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन समस्याओं को पूरे परिवार, शिक्षकों व छात्र सबको मिलकर हल करना होगा। ऐसा नहीं है कि अकेले छात्र इससे निपट सकते हैं।आपसी चर्चा और समन्वय से इन चीजों को दूर किया जा सकता है।
कुछ छात्रों व अभिभावकों ने छात्रों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण से उत्पन्न होते तनाव पर प्रश्न पूछे। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि जीवन में प्रतिस्पर्धा न हो तो तो फिर जीवन बहुत ही प्रेरणाहीन व चेतनाहीन बन जाएगा। लेकिन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। कभी-कभी खराब प्रवृत्ति का यह बीज पारिवारिक वातावरण में ही बो दिया जाता है। दो भाइयों या दो बहनों में विकृत स्पर्धा का भाव बो दिया जाता है। यह आगे चलकर यह बीज परिवारों में एक जहरीला वृक्ष बन जाता है।
वहीं दोस्तों के साथ प्रतिस्पर्धा पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि आपका दोस्त 90 अंक ले गया है तो ऐसा तो नहीं कि आपके लिए केवल 10 अंक बचे हैं। उन्होंने कहा कि आपके लिए भी 100 अंक है, आपको सकारात्मक के साथ सोचना है कि मैं भी 100 में से कितने अंक ला सकता हूं। प्रतिभावान दोस्त प्रेरणा का स्रोत होते हैं, कभी भी खराब भाव अपने मन में नहीं आने देना चाहिए।
उन्होंने माता-पिता से भी अपील की कि वे अपने बच्चों की तुलना दूसरे छात्रों से न करें।
शिक्षकों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि वे कैसे छात्रों को प्रेरित कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि जिस दिन शिक्षक सिलेबस से आगे निकल कर, छात्रों से नाता जोड़ेंगे तो छात्र आपसे खुलकर बात करेगा और परीक्षा के दौरान तनाव की स्थिति उत्पन्न ही नहीं होगी। शिक्षक का काम नौकरी करना नहीं है, बल्कि शिक्षक का कार्य जिंदगियों को सवांरना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई छात्र परीक्षा के दिन किताब पढ़ना नहीं छोड़ते है। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को परीक्षा केंद्र में सहज भाव से जाना चाहिए। गहरी सांस लेकर प्रसन्न भाव से पूरा प्रश्न पत्र पढ़ लीजिए और इस दौरान अपनी गणना कर लेनी चाहिए कि पहले कौन से प्रश्न करने हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजकल लिखने की आदत कम हो गई है। छात्रों को प्रतिदिन लिखने का नियमित अभ्यास करना चाहिए ताकि परीक्षा में लिखते समय उन्हें समस्या न आए।
--आईएएनएस
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