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नौकरी के बदले जमीन मामला : एक महीने के भीतर पूरक आरोपपत्र दाखिल करेगी सीबीआई, दिल्ली कोर्ट में याचिका

प्रकाशित 31/01/2024, 03:16 am
नौकरी के बदले जमीन मामला : एक महीने के भीतर पूरक आरोपपत्र दाखिल करेगी सीबीआई, दिल्ली कोर्ट में याचिका

नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत को सूचित किया कि वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्‍यों से जुड़े कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाले के संबंध में एक महीने के भीतर पूरक आरोपपत्र दाखिल करेगी।राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विशाल गोग्ने के समक्ष एजेंसी ने आश्‍वासन दिया कि फरवरी के अंत तक अंतिम रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

यह खुलासा अदालत में राजद नेता अहमद अशफाक करीम की एक अर्जी पर विचार के दौरान हुआ, जिसमें जांच के दौरान जब्त की गई 13 लाख रुपये की नकदी जारी करने की मांग की गई थी।

अदालत ने पूरक आरोपपत्र दाखिल होने तक आवेदन पर अपना फैसला टाल दिया है, मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होनी है।

पिछले हफ्ते, अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लालू प्रसाद की पत्‍नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बेटियों और अन्य को समन जारी किया था और उन्हें 9 फरवरी को अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा था।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में उस मामले के संबंध में अपना पहला आरोपपत्र दाखिल किया, जिस पर अदालत ने संज्ञान लिया।

अदालत ने आरोपपत्र में नामित व्यक्तियों को अदालत में पेश होने का निर्देश देते हुए कहा था कि मामले में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार हैं।

कथित तौर पर लालू प्रसाद के परिवार के करीबी सहयोगी अमित कत्याल का भी आरोपपत्र में कुछ कंपनियों के साथ नाम लिया गया है।

अदालत ने हाल ही में लालू प्रसाद, उनके बेटे और पत्‍नी द्वारा आरोपपत्र के साथ दायर दस्तावेजों की आपूर्ति की मांग करने वाले एक आवेदन पर सीबीआई से जवाब मांगा था।

अदालत ने आठ आरोपियों की उन याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिनमें कमी वाले दस्तावेजों की आपूर्ति की मांग की गई थी।

पिछले साल 3 अक्टूबर को कोर्ट ने इस मामले में लालू प्रसाद, उनके बेटे और पत्नी को जमानत दे दी थी।

22 सितंबर को अदालत ने लालू प्रसाद और अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर एक ताजा आरोपपत्र पर संज्ञान लिया।

चूंकि जांच एजेंसी ने जमानत का विरोध नहीं किया, इसलिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने जमानत दे दी।

सीबीआई ने 18 मई, 2022 को लालू प्रसाद और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित 15 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

ईडी ने जुलाई में कहा था कि उसने मामले में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत लालू प्रसाद के परिवार - उनकी पत्‍नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती - और संबंधित कंपनियों की 6 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली है।

सीबीआई ने 3 जुलाई को लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था।

सीबीआई के एक अधिकारी ने पहले कहा था, "2004-2009 की अवधि के दौरान लालू प्रसाद (तत्कालीन रेल मंत्री) ने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह 'डी' पदों पर प्रतिस्थापन की नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भूमि संपत्ति के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था।“

पटना के कई निवासियों ने स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से अपनी जमीन लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और उनके और उनके परिवार द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में बेच दी और उपहार में दे दी।

"जोनल रेलवे में स्थानापन्नों की ऐसी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, फिर भी नियुक्त व्यक्ति, जो पटना के निवासी थे, को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था।"

सीबीआई ने कहा था, "इस कार्यप्रणाली को जारी रखते हुए, पटना में स्थित लगभग 1,05,292 वर्ग फुट भूमि और अचल संपत्तियों को लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों ने पांच बिक्री कार्यों और दो उपहार कार्यों के माध्यम से हासिल किया था, जिसमें विक्रेता को अधिकांश भुगतान नकद में दिखाया गया था।“

सीबीआई ने इस मामले में 10 अक्टूबर, 2022 को राबड़ी देवी और उनकी बेटी सहित 16 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था और फिर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी ली गई थी।

--आईएएनएस

एसजीके/

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