नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक डॉक्टर को साथी महिला डॉक्टर को शादी का झांसा देकर बलात्कार करने के आरोप में तलब किया।हालांकि, साकेत कोर्ट की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विजयश्री राठौड़ ने रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को डॉ. दीपक गुप्ता के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने के लिए "प्रथम दृष्टया पर्याप्त" माना।
हौज खास थाने में डॉ. दीपक गुप्ता के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 313 (महिला की सहमति के बिना गर्भपात कराना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामले दर्ज किए गए थे।
मजिस्ट्रेट ने विजयश्री राठौड़ ने कुछ महत्वपूर्ण कागजात की जांच करने के बाद कहा, "मैं आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 377, 313 और 506 के तहत अपराध का संज्ञान लेती हूं।"
मजिस्ट्रेट ने कहा, ''मैंने सीआरपीसी की धारा 173 के तहत चालान, दर्ज बयान और साक्ष्यों को देखा है। आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि ये सभी चीजें मामले को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त हैं।''
अदालत ने संबंधित थाना प्रभारी (एसएचओ) के माध्यम से डॉ. दीपक गुप्ता को 26 फरवरी को तलब करने का निर्देश दिया।
हालांकि, अदालत ने आरोपी की दो बहनों और भाई को यह कहते हुए तलब नहीं किया कि गुप्ता और शिकायतकर्ता की शादी नहीं हुई थी। इसलिए उनके खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं बनता और कथित अपराध को अंजाम देने में तीनों की कोई भूमिका नहीं प्रतीत होती है।
एफआईआर के मुताबिक, एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ. गुप्ता ने शादी के बहाने शिकायतकर्ता, जो एक डॉक्टर भी है, के साथ कथित तौर पर कई मौकों पर बलात्कार किया। उन पर एक "दिखावटी शादी" के बाद शिकायतकर्ता को गर्भपात कराने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया है।
--आईएएनएस
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