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दिल्ली हाईकोर्ट ने सौम्या विश्वनाथन हत्या मामले में आजीवन सजा प्राप्‍त चार दोषियों को दी जमानत

प्रकाशित 12/02/2024, 09:12 pm
दिल्ली हाईकोर्ट ने सौम्या विश्वनाथन हत्या मामले में आजीवन सजा प्राप्‍त चार दोषियों को दी जमानत

नई दिल्ली, 12 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2008 में टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए चार लोगों को सोमवार को यह देखते हुए कि वे लगभग 14 वर्षों से सलाखों के पीछे हैं,जमानत दे दी और उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की खंडपीठ ने कहा कि जब तक यह अदालत मामले में दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ उनकी अपील पर सुनवाई नहीं करती, तब तक उनकी आजीवन कारावास की सजा निलंबित रहेगी।

साकेत कोर्ट ने नवंबर में दोषी रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जबकि पांचवें दोषी अजय सेठी को तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी।

उनमें से चार - रवि, अमित, बलजीत और अजय ने अपील लंबित रहने के दौरान सजा को निलंबित करने की मांग की थी।

23 जनवरी को, उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उन्हें दोषी ठहराने और आजीवन कारावास की सजा सुनाने के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था।

इससे पहले जनवरी में, मलिक और शुक्ला ने वकील अमित कुमार के माध्यम से ट्रायल कोर्ट के 18 अक्टूबर, 2023 के फैसले, उन्हें दोषी ठहराने और 25 नवंबर, 2023 की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी।

23 जनवरी को, अदालत ने अधिकारियों से दोषियों की सजा को निलंबित करने की मांग वाली अंतरिम अर्जी पर जवाब दाखिल करने को भी कहा था।

हाल ही में हाई कोर्ट ने कपूर की पैरोल याचिका भी खारिज कर दी थी।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कपूर के व्यापक आपराधिक रिकॉर्ड, अपराधों की गंभीरता और जेल परिसर के भीतर उनके आचरण को देखते हुए याचिका खारिज कर दी थी।

कपूर ने पारिवारिक संबंधों और घुटने की सर्जरी का हवाला देते हुए चार सप्ताह की पैरोल मांगी थी।

कपूर, शुक्ला, कुमार और मलिक को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) प्रावधानों के तहत और सेठी को चोरी की संपत्ति प्राप्त करने के लिए दोषी ठहराया गया था। पुलिस ने उसकी हत्या का कारण डकैती बताया था और आरोपियों के खिलाफ सख्त मकोका लगाया था।

30 सितंबर 2008 को, विश्वनाथन की नेल्सन मंडेला मार्ग पर उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वह अपनी कार में काम से घर लौट रही थीं।

मलिक, कपूर और शुक्ला को पहले 2009 में आईटी कार्यकारी जिगिशा घोष की हत्या में दोषी ठहराया गया था। घोष की हत्या के लिए ट्रायल कोर्ट ने कपूर और शुक्ला को मौत की सजा सुनाई और मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद, अगले वर्ष, उच्च न्यायालय ने घोष हत्या मामले में मलिक की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए कपूर और शुक्ला की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

--आईएएनएस

सीबीटी

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