💎 आज के बाजार में सबसे स्वस्थ कंपनियों को देखेंशुरू करें

इलेक्टोरल बॉन्ड लाने के पीछे का यह था असली मकसद

प्रकाशित 04/04/2024, 11:29 pm
इलेक्टोरल बॉन्ड लाने के पीछे का यह था असली मकसद

नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के पहले ही चुनावी बॉन्ड का मुद्दा गहरा गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष इसको लेकर एक-दूसरे के सामने हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जो विपक्ष आरोप लगा रही है, उसमें कितनी सच्चाई है।

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इलेक्टोरल बॉन्ड क्या है? सरकार का इसको लाने के पीछे का मकसद क्या था? और, इससे क्या फायदा होता? क्या इलेक्टोरल बॉन्ड से ब्लैक मनी की आवाजाही पर रोक लगाया जा सकता है?

दरअसल, राजनीतिक पार्टियों के इनकम का मुख्य स्त्रोत चुनावी चंदा है। जिसके जरिए पार्टियां अपना खर्चा चलाती हैं। इसके जरिए वह मतदाताओं तक अपनी पहुंच बढ़ाती हैं। ऐसे में राजनीतिक दल इन चुनावी चंदों का उपयोग रिसर्च, प्रचार, पब्लिक वेलफेयर के कामों के लिए, लोगों से जुड़ने और पार्टी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए करती हैं।

वैसे आपको बता दें कि चुनावी चंदे का कल्चर बहुत पुराना है। यह पार्टियों के लिए आजादी से पहले से चल रहा है। तब, आजादी की लड़ाई के लिए लोग पार्टी को चंदे के रूप में सहयोग देते थे।

जब भारत आजाद हुआ तो कांग्रेस जैसी पार्टियां थी, जिसे आम लोग तो चंदा देते ही थे, साथ ही साथ बड़े उद्योगपति भी इसे ज्यादा चंदा देते थे। इसी चंदे के पैसे से पार्टी अपना पूरा खर्चा चलाती थी। हालांकि, जब तक इलेक्टोरल बॉन्ड का सिस्टम नहीं आया तब तक ज्यादातर चंदा कैश में आता था। जिसका कोई रिकॉर्ड नहीं होता था। इसके बाद 2016 में चुनावी चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड लाया गया।

इस इलेक्टोरल बॉन्ड को एक तरह का बैंक बॉन्ड बनाया गया। जिसे बैंक के जरिए खरीदा जाता है। इसके जरिए दान देने वाले बॉन्ड बैंक से खरीदते हैं। यह बॉन्ड जिसने खरीदा उसके बारे में बैंक को जानकारी होती है। इसके बाद यह बॉन्ड जिस भी पार्टी को दिया जाता है, उनके अकाउंट में यह क्रेडिट होता है, वहां भी यह रिफ्लेक्ट होता है। हालांकि, इस दौरान दानदाता की पहचान गुप्त रखी जाती है।

इसको लेकर यह सोच थी कि कुछ कंपनियों को या लोगों को लगता था कि जब हम किसी पार्टी को चंदा देंगे और बाद में दूसरी सरकार बनी तो वह उन्हें परेशान करेंगे। ऐसे में दानकर्ता के नाम को गुप्त रखने का फैसला लिया गया। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया को सूचना के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए खारिज कर दिया।

अब बात करें इलेक्टोरल बॉन्ड के द्वारा दिए गए चंदे की तो भाजपा को 6,060 करोड़, इसके बाद तृणमूल कांग्रेस जिसको 1,609 करोड़ का बॉन्ड हासिल हुआ, जो एक क्षेत्रीय पार्टी है। इसके बाद कांग्रेस का नंबर आता है, जिसे 1,421 करोड़ रुपए चंदे के रूप में मिले हैं। दिक्कत कांग्रेस को यहीं से शुरू हुई।

इलेक्टोरल बॉन्ड को प्राप्त करने के लिए नियम यह भी था कि आपका मिनिमम वोट परसेंट 1 प्रतिशत होना चाहिए। इसके साथ ही केवाईसी अनिवार्य था। इसके साथ ही कैश इसमें नहीं दिया जा सकता है।

ऐसे में एक बार बॉन्ड पर नजर डालें तो 12,769 करोड़ बॉन्ड्स में से कुल 47 प्रतिशत हिस्सा भाजपा को गया। जबकि, टीएमसी को 12.6 प्रतिशत और कांग्रेस के हिस्से में 11 प्रतिशत की बॉन्ड हिस्सेदारी आई है।

अब इन्हीं बॉन्ड्स को सांसदों की संख्या के आधार पर देखें तो पता चलेगा कि सांसदों के लिहाज से किसको कितना चंदा मिला है। बीआरएस को प्रति सांसद 200.43 करोड़ रुपए चंदा मिला है। जबकि, इसके बाद टीडीपी को 110 करोड़ प्रति सांसद के हिसाब से चंदा मिला है। इसके बाद डीएमके का नंबर है, जिसे 76.69 करोड़, तृणमूल कांग्रेस को प्रति सांसद 73.68 करोड़ इसके साथ ही कांग्रेस को प्रति सांसद 27.03 करोड़ रुपए चंदे के रूप में मिले हैं। भाजपा को सिर्फ 20.03 करोड़ रुपए प्रति सांसद चंदा मिला है। जबकि, उसके 303 सांसद हैं।

--आईएएनएस

जीकेटी/

नवीनतम टिप्पणियाँ

हमारा ऐप इंस्टॉल करें
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
फ्यूज़न मीडिया आपको याद दिलाना चाहता है कि इस वेबसाइट में मौजूद डेटा पूर्ण रूप से रियल टाइम एवं सटीक नहीं है। वेबसाइट पर मौजूद डेटा और मूल्य पूर्ण रूप से किसी बाज़ार या एक्सचेंज द्वारा नहीं दिए गए हैं, बल्कि बाज़ार निर्माताओं द्वारा भी दिए गए हो सकते हैं, एवं अतः कीमतों का सटीक ना होना एवं किसी भी बाज़ार में असल कीमत से भिन्न होने का अर्थ है कि कीमतें परिचायक हैं एवं ट्रेडिंग उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। फ्यूज़न मीडिया एवं इस वेबसाइट में दिए गए डेटा का कोई भी प्रदाता आपकी ट्रेडिंग के फलस्वरूप हुए नुकसान या हानि, अथवा इस वेबसाइट में दी गयी जानकारी पर आपके विश्वास के लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।
फ्यूज़न मीडिया एवं/या डेटा प्रदाता की स्पष्ट पूर्व लिखित अनुमति के बिना इस वेबसाइट में मौजूद डेटा का प्रयोग, संचय, पुनरुत्पादन, प्रदर्शन, संशोधन, प्रेषण या वितरण करना निषिद्ध है। सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकार प्रदाताओं एवं/या इस वेबसाइट में मौजूद डेटा प्रदान करने वाले एक्सचेंज द्वारा आरक्षित हैं।
फ्यूज़न मीडिया को विज्ञापनों या विज्ञापनदाताओं के साथ हुई आपकी बातचीत के आधार पर वेबसाइट पर आने वाले विज्ञापनों के लिए मुआवज़ा दिया जा सकता है।
इस समझौते का अंग्रेजी संस्करण मुख्य संस्करण है, जो अंग्रेजी संस्करण और हिंदी संस्करण के बीच विसंगति होने पर प्रभावी होता है।
© 2007-2024 - फ्यूजन मीडिया लिमिटेड सर्वाधिकार सुरक्षित