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झारखंड में पांचवें चरण में उन तीन सीटों पर मतदान, जहां पिछली बार चला था 'भाजपा का तूफान'

प्रकाशित 18/05/2024, 11:12 pm
झारखंड में पांचवें चरण में उन तीन सीटों पर मतदान, जहां पिछली बार चला था 'भाजपा का तूफान'
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रांची, 18 मई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में झारखंड की जिन तीन सीटों हजारीबाग, कोडरमा और चतरा में 20 मई को मतदान होने वाला है, वहां एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला है। इन सीटों पर 2019 के चुनाव में भाजपा की कैसी आंधी चली थी, इसकी गवाही वोट के आंकड़े देते हैं। हजारीबाग में इसके उम्मीदवार जयंत सिन्हा ने 4 लाख 79 हजार 548, कोडरमा में अन्नपूर्णा देवी ने 4 लाख 55 हजार 600 और चतरा में सुनील सिंह ने 3 लाख 77 हजार 871 मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी।

इस बार इन सीटों पर एनडीए के लिए जहां 2019 की बेमिसाल जीत का रिकॉर्ड दोहराने का चैलेंज है, वहीं विपक्ष के सामने सवाल ये है कि वह यहां अपने पांव जमा पाता है या नहीं?

चुनावी समीकरणों और मुकाबले में उतरे चेहरों पर गौर करें तो यह चुनाव 2019 के चुनाव से कई मायनों में अलग है। भाजपा ने तीन में से दो सीटों हजारीबाग और चतरा में पिछली बार रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज करने वाले सांसदों जयंत सिन्हा एवं सुनील सिंह का टिकट इस बार काट दिया है। इसकी वजह यह रही कि पार्टी के इंटरनल सर्वे में पाया गया कि इनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है।

भाजपा ने इस फैक्टर को काटने के लिए “वोकल फॉर लोकल” का मंत्र आजमाया है और ऐसे उम्मीदवारों को उतारा, जिनकी पैतृक जड़ें यहां की जमीन में गहरे रूप से मौजूद हैं। हजारीबाग में जयंत सिन्हा भले दो टर्म और उनके पिता यशवंत सिन्हा तीन टर्म सांसद रहे, लेकिन वे मूल रूप से यहां के निवासी नहीं है। यशवंत सिन्हा 1984 में आईएएस से वॉलेंटरी रिटायरमेंट के बाद यहां आए थे और इसे अपनी सियासी कर्मभूमि बनाया। भाजपा ने इस बार सिन्हा परिवार को दरकिनार कर हजारीबाग सदर सीट के मौजूदा भाजपा विधायक मनीष जायसवाल को प्रत्याशी बनाया। वे मूल रूप से इसी जिले के रहने वाले हैं और उनका ताल्लुक यहां दशकों से कारोबार और सियासत में दखल रखने वाले परिवार से है। उनके पिता बीके जायसवाल दशकों तक हजारीबाग नगरपालिका और हजारीबाग जिला परिषद के अध्यक्ष रहे हैं।

इस सीट पर मुकाबले का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि भाजपा के मनीष जायसवाल को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने भाजपा के घर में ही सेंध लगाई और इसी जिले में आने वाली मांडू विधानसभा सीट के भाजपा विधायक जयप्रकाश भाई पटेल को अपने खेमे में लाकर मैदान में उतार दिया।

मार्च के पहले मनीष जायसवाल और जयप्रकाश पटेल विधानसभा में एक-दूसरे के अगल-बगल की सीटों पर बैठते थे। दोनों में गहरी दोस्ती भी रही है। मनीष जायसवाल की तरह जयप्रकाश पटेल के पास भी सियासी विरासत की ताकत है। उनके पिता टेकलाल महतो मांडू से पांच बार विधायक और गिरिडीह से एक बार सांसद रहे हैं।

इन दोनों की लड़ाई में इस बार जातीय फैक्टर को बेहद अहम माना जा रहा है। मनीष जायसवाल को वैश्य-पिछड़ा वोट बैंक और मोदी फैक्टर पर भरोसा है, जबकि जयप्रकाश भाई पटेल कुर्मी-कोयरी और मुस्लिम वोटरों की गोलबंदी के आधार पर खुद को मजबूत मान रहे हैं।

चतरा सीट की बात करें तो भाजपा ने मूल रूप से बिहार के बक्सर निवासी मौजूदा सांसद सुनील सिंह का टिकट काटकर स्थानीय नेता कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया। चतरा का इतिहास है कि यहां आज तक कोई स्थानीय व्यक्ति सांसद नहीं बना। भाजपा ने स्थानीयता के फैक्टर को इस बार भावनात्मक मुद्दा बना दिया है और उसे उम्मीद है कि इस आधार पर वह अपने इस किले को महफूज रखने में कामयाब रहेगी।

दूसरी तरफ कांग्रेस ने डाल्टनगंज के पूर्व विधायक केएन त्रिपाठी को मैदान में उतारा। वह भी खुद को चतरा संसदीय क्षेत्र का असली मूलवासी बताते हुए भाजपा के भावनात्मक कार्ड के समीकरण को अपने पक्ष में मोड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

चतरा के सियासी समीकरणों के जानकार बताते हैं कि स्थानीयता के साथ-साथ जातीय आधार पर जिसकी गोलबंदी ज्यादा मजबूत होगी, वह यहां इस बार जीत का झंडा फहरा लेगा।

तीसरी सीट कोडरमा में मौजूदा भाजपा सांसद और केंद्र सरकार की शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी और इंडिया गठबंधन की ओर से सीपीआई एमएल के बगोदर इलाके के विधायक विनोद सिंह के बीच कड़ी टक्कर है।

पिछली बार अन्नपूर्णा देवी ने यहां झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी को हराया था। अब बाबूलाल मरांडी भाजपा में हैं और वह अन्नपूर्णा देवी के लिए वोट मांग रहे हैं।

यह राज्य की एकमात्र सीट है, जहां वामपंथी पार्टी का उम्मीदवार मुकाबले का मुख्य किरदार है। अन्नपूर्णा देवी को पीएम मोदी की लोकप्रियता और राज्य मंत्री के रूप में अपने काम के आधार पर लोगों से समर्थन का भरोसा है तो दूसरी तरफ विनोद सिंह को विधायक के रूप में अपने ट्रैक रिकॉर्ड और इंडिया गठबंधन के बैनर वाली पार्टियों की एकजुटता के बूते कामयाबी का यकीन है। हालांकि यहां इंडिया गठबंधन से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे गांडेय इलाके के पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा ने मुकाबले का कोण बनाने की भरपूर कोशिश की है। इस बात पर संशय है कि वह इंडिया या भाजपा में से किसका वोट काटेंगे।

--आईएएनएस

एसएनसी/एकेएस

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