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राम मंदिर के बाद यूपी बीजेपी की लोकसभा चुनाव में समान नागरिक संहिता पर नजर

प्रकाशित 01/07/2023, 09:34 pm
राम मंदिर के बाद यूपी बीजेपी की लोकसभा चुनाव में समान नागरिक संहिता पर नजर

अमृता वर्मा, लखनऊ, 1 जुलाई (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव-2024 के लिए यूपी बीजेपी जहां राम मंदिर के मुद्दे पर नजर बनाए हुए है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'समान नागरिक संहिता (यूसीसी)' पर दिए गए बयान पर भी बीजेपी खेमा उत्साहित है। यूसीसी का कार्यान्वयन अब भाजपा की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई है। अगर यह आम चुनाव से पहले अमल में नहीं आता है तो भी यह मुद्दा पार्टी को अपनी हिंदू साख को मजबूत करने में मदद करेगा। बीजेपी को भरोसा है कि कम से कम यूपी में यूसीसी का बड़ा विरोध नहीं होगा।

पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा "हमने अनुच्छेद 370 को हटाने का वादा किया था और हमने उसे कर दिखाया। हमने राम मंदिर का वादा किया था और वो सपना भी सच हो रहा है। हमने समान नागरिक संहिता का वादा किया था। हम उस रास्ते पर हैं। भले ही हम चुनाव से पहले ऐसा करने में असमर्थ हों, लेकिन लोग जानते हैं कि हमें इस मुद्दे से मतलब है।''

योगी आदित्यनाथ सरकार के एक मंत्री का कहना है कि "सबसे पहले, मुस्लिम महिलाएं हमारा समर्थन करती हैं क्योंकि वो जानती हैं कि यूसीसी उनके भविष्य की रक्षा करेगा। उन्हें मोदी नेतृत्व पर भरोसा है, जिसने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया और मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा की भावना दी। इसलिए, यूसीसी का मुस्लिम प्रतिरोध मौलवियों तक ही सीमित रहेगा।"

यूसीसी पर भाजपा खेमे के उत्साहित रहने का एक अन्य कारण भी है। जो है सिख, पारसी और जैन जैसे अन्य अल्पसंख्यक समुदायों से यूसीसी का कोई विरोध नहीं हुआ है। यूसीसी के लागू होने से मुस्लिम समाज में केवल पुरुष वर्चस्व को खतरा है क्योंकि पुरुष नहीं चाहते कि महिलाओं को समान अधिकार मिले।

यूसीसी के लिए केंद्र सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा कर रहा है, जिसने बार-बार नागरिकों को समान न्याय सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसका असर तब देखने को मिला जब सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को खत्म करने का फैसला लिया।

पहली बार अदालतों ने सुप्रीम कोर्ट में शाहबानो मामले के दौरान यूसीसी के बारे में बात की थी। शाह बानो बेगम मामले (1985) के दौरान, शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय एकता के हित में "समान नागरिक संहिता" बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

अदालत ने कहा था, "अब समय आ गया है कि अनुच्छेद 44 के तहत विवाह और तलाक के लिए एक समान संहिता प्रदान करने के लिए विधायिका को हस्तक्षेप करना चाहिए।"

इस बीच समाजवादी पार्टी इस आधार पर यूसीसी का पुरजोर विरोध करने के लिए तैयार है कि इसकी प्रकृति विभाजनकारी है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने की बीजेपी की एक और कोशिश है।

पार्टी सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने कहा, इससे देश में सिर्फ नफरत फैलेगी। लोकसभा चुनाव नजदीक है, कुछ राज्यों में भी चुनाव होने हैं। बीजेपी को मुद्दों पर चर्चा करने की कोई इच्छा नहीं है और वह देश को नफरत की आग में झोंकना चाहती है। यह कानून बनाने से काम नहीं चलेगा। यूसीसी देश की विविधता पर सीधा हमला होगा।

सपा सांसद बर्क की टिप्पणी विधि आयोग के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उसने कहा था कि समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर नए सिरे से विचार करने, जनता और धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार जानने का निर्णय लिया गया है।

--आईएएनएस

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