नई दिल्ली, 4 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की पीठ "जितनी जल्दी हो सके" सुनवाई करेगी।
बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा खंडित फैसला सुनाए जाने के बाद शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह निर्देश पारित किया।
इसमें कहा गया कि बालाजी की याचिका को ''जल्द से जल्द'' बड़ी पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए।
अंतरिम को चुनौती देने वाली ईडी की अपील पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, "हम मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले को जल्द से जल्द एक बड़ी पीठ के समक्ष रखने का अनुरोध करते हैं और नियुक्त पीठ से मामले का जल्द से जल्द फैसला करने का अनुरोध करते हैं।" इस साल जून में उच्च न्यायालय द्वारा निर्देश पारित किया गया था।
उच्च न्यायालय ने 15 जून को पारित अंतरिम निर्देश में मंत्री को एक सरकारी अस्पताल से एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, जहां वह ईडी अधिकारियों की हिरासत में थे।
बालाजी की पत्नी एस. मेगाला ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर अपने पति की एआईएडीएमके सरकार में 2011 से 2016 तक परिवहन मंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर नौकरी के बदले नकदी घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा की गई गिरफ्तारी की आलोचना की थी। .
एंजियोप्लास्टी में उनकी कोरोनरी आर्टिलरी में तीन ब्लॉक पाए जाने के बाद डॉक्टरों ने संकटग्रस्त मंत्री के लिए तत्काल कोरोनरी बाईपास सर्जरी को प्राथमिकता दी थी। मंत्री का ऑपरेशन किया गया और वह फिलहाल उसी अस्पताल में हैं जहां उनकी सर्जरी हुई थी।
4 जुलाई को दिए गए अपने खंडित फैसले में मद्रास उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति जे. निशा बानू ने मंत्री की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया था और उन्हें तत्काल प्रभाव से मुक्त करने का आदेश दिया था, जबकि न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने असहमति जताई थी।
--आईएएनएस
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