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लोकसभा चुनाव में यूपी से लड़ सकते हैं नीतीश, अटकलें तेज

प्रकाशित 21/07/2023, 06:47 pm
लोकसभा चुनाव में यूपी से लड़ सकते हैं नीतीश, अटकलें तेज

लखनऊ, 21 जुलाई(आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगामी लोकसभा चुनाव यूपी से लड़ने की अटकलों को पंख लगे हैं। जनता दल यूनाइटेड की उत्तर प्रदेश की इकाई ने उनके यहां से चुनाव लड़ने की मांग रखी है। यूपी का संगठन चाहता कि नीतीश कुमार यहां से चुनाव लड़ेंगे तो एक बड़ा संदेश जाएगा और पार्टी के साथ विपक्षी गठबंधन को भी मजबूती मिलेगी।जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद् की बैठक में यह मुद्दा उठा था जिसे यूपी के संयोजक सत्येंद्र पटेल ने उठाया था। फिर इस मामले को और हवा मिली जब जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष लल्लन सिंह ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री चुनाव कहां से चुनाव लड़ेंगे, इस पर अभी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन कुछ कार्यकर्ताओं ने जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद् की बैठक में यह मुद्दा उठाया। उनकी इच्छा है कि वो यूपी के फूलपुर, मिर्ज़ापुर से चुनाव लड़ें तो कुछ चाहते हैं कि नीतीश आंबेडकर नगर से चुनाव लड़ें। ये कार्यकर्ताओं की भावना है लेकिन इसपर समय से पहले कुछ भी कहना उचित नहीं है।

जदयू के कुछ पदाधिकारी नीतीश कुमार को फूलपुर से चुनाव लड़ाने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि फूलपुर सीट के जातीय समीकरण को देखें तो यहाँ सबसे ज़्यादा कुर्मी वोटर हैं। उसके बाद यादव, मुस्लिम और ब्राह्मण वोटरों की संख्या यहां सबसे ज़्यादा है। ऐसे में नीतीश कुमार कुर्मी वोटरों के सहारे चुनाव लड़ने की रणनीति बना सकते हैं। इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू कर चुके हैं, इसलिए यह हमेशा खास रही है।

फूलपुर सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है। लेकिन बाद में सपा और बसपा भी यहाँ से चुनाव जीत चुकी है। हालांकि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यह सीट छीन ली थी।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश कुमार यहां से चुनाव लड़कर अपनी छवि राष्ट्रीय स्तर की बना सकते हैं। इसकी दूरी भी काशी से कम है। तो पीएम मोदी से मुकाबले के तौर पर इसे देखा जा सकता है। हालांकि कुछ कार्यकर्ता फतेहपुर, आंबेडकर नगर का प्रस्ताव दे चुके हैं।

जेडीयू के प्रदेश संयोजक सत्येंद्र पटेल कहते हैं कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हम यूपी से चुनाव लड़ने का निवेदन कर चुके हैं। इस बारे में मुख्यमंत्री से भी वार्ता की है। उनका कहना है कि नीतीश कुमार की यूपी में अपनी खुद की लोकप्रियता है और इस प्रदेश में कई चुनाव प्रचार में वह भाग ले चुके हैं। हमारा संगठन हर जिले में है। अब ब्लॉक और विधानसभा स्तर पर मजबूत करने पर जुटे हैं। विपक्षी दलों की महाराष्ट्र में बैठक के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने की कोई भी औपचारिक घोषणा की जाएगी।

बीते दिनों जदयू बिहार के मंत्री और यूपी के प्रभारी श्रवण कुमार भी राज्य में दो दिन डेरा डालकर संगठन को मजबूत करने पर जोर दे गए हैं।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि यूपी में भाजपा के पास गैर यादव और पिछड़ा वोट बैंक काफी मजबूत है। इस वोटबैंक में तकरीबन चार फीसद कुर्मी वोटर हैं जिस पर हर दल की निगाहे है। इसी कारण भाजपा ने अपना दल की अनुप्रिया से गठबंधन कर रखा है और अपनी सरकार में काफी प्रतिनिधित्व दे रखा है। सपा ने तो अपना प्रदेश अध्यक्ष ही इसी वर्ग से बना रखा है। नीतीश कुमार भी इसी वर्ग से आते हैं। निश्चित तौर पर बड़ा चेहरा हैं। उनकी भी इस वोट को झटकने पर निगाहे होंगीं। अगर वह यूपी से चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबला काफी रोचक होगा।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल कहते हैं कि कुछ दिनों पहले यूपी से नीतीश कुमार यूपी से चुनाव लड़ने की खबरें चली थी। क्योंकि यहां नान यादव ओबीसी का कोई बड़ा चेहरा नहीं है। जैसे कि बेनी प्रसाद वर्मा और बसपा रालोद में हुआ करते थे। 2014 और 17 के चुनाव के पहले यूपी के बॉर्डर में शराब बंदी को लेकर कई रैलियां की थी, लेकिन उनको चुनाव में कोई कामयाबी नहीं मिली। वह अपनी बिरादरी में टेस्ट करने के लिए पहले भी दांव आजमाते हैं, लेकिन जब ग्राउंड रिपोर्ट पार्टी तक पहुंचती है कि इनकी टक्कर भाजपा के अलावा सपा से भी हो जायेगी या सपा इनके पक्ष में कोई उम्मीदवार न उतारे तो कामयाबी मिल सकती है। लेकिन अभी तक ऐसे आसार नजर नहीं आए। विपक्षी दलों का नया गठबंधन बनने के बाद कोई फॉर्मूला बन सकता है। चुनाव के जरिए नीतीश अपनी लोकप्रियता का पैमाना जरूर टेस्ट कर सकते हैं। लेकिन चुनाव किसी अन्य राज्य से जीतना मुश्किल है क्योंकि यहां पर अन्य तीन चार राजनीतिक दल मजबूत हैं। अगर नीतीश सारे विपक्ष का एक चेहरा बनें तो अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।

--आईएएनएस

विकेटी/एसकेपी

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