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माओवाद प्रभावित सिमडेगा में युवाओं के लिए पुलिस अंकल की ट्यूटोरियल क्लासेज

प्रकाशित 23/07/2023, 05:02 pm
माओवाद प्रभावित सिमडेगा में युवाओं के लिए पुलिस अंकल की ट्यूटोरियल क्लासेज

रांची, 23 जुलाई (आईएएनएस)। जिन वर्दी वालों पर कानून का इकबाल कायम रखने की जिम्मेदारी है, वो जब बंदूक और डंडा छोड़ हाथों में कलम और चॉक पकड़ते हैं तो कितना बड़ा कमाल कर सकते हैं, इसकी मिसाल देखनी हो तो सिमडेगा आइए। झारखंड के इस नक्सल प्रभावित जिले में पुलिस के लोग अपनी व्यस्त और सख्त ड्यूटी से वक्त निकालकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के लिए 16 जगहों पर ट्यूटोरियल क्लास चला रहे हैं। पुलिस अंकल ट्यूटोरियल क्लास के नाम से चल रहे इन सेंटरों में पढ़ाई कर इस साल तकरीबन डेढ़ हजार छात्र-छात्राओं ने मैट्रिक की परीक्षा में कामयाबी हासिल की है। इनमें से 630 स्टूडेंट्स ने तो फर्स्ट क्लास के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की है। पुलिस अंकल ट्यूटोरियल क्लासेज की यह मुहिम पिछले चार सालों में चल रही है। इन सेंटर्स में पढ़कर अब तक ढाई हजार छात्र-छात्राओं ने मैट्रिक की परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन किया है। ये उन इलाकों के बच्चे हैं, जहां से बड़े पैमाने पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग होती रही है। माओवादी और दूसरे नक्सली संगठनों के लिए ये पिछड़े इलाके बेहद मुफीद रहे हैं। वे गरीब परिवारों के बच्चों-युवाओं का ब्रेनवॉश कर हिंसा की अंधेरी गलियों में धकेलते रहे हैं। ऐसे में सिमडेगा जिला पुलिस की इस पहल के सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं।

सिमडेगा के एसपी सौरभ कुमार के मुताबिक वर्ष 2022 में 15 जगहों पर चलाई गई पुलिस अंकल ट्यूटोरियल क्लासेज में कुल 1643 बच्चों ने पढ़ाई की। इनमें से 91 प्रतिशत बच्चे सफल रहे। उत्तीर्ण होने वाले कुल 1488 बच्चों में 630 को फर्स्ट और 741 को सेकेंड क्लास में सफलता मिली। 78 बच्चे थर्ड और 39 बच्चे मार्जिनल अकों के साथ सफल रहे।

सफल हुए बच्चों में कई ऐसे गांवों-मुहल्लों के हैं, जहां अब भी गिने-चुने लोग ही मैट्रिक पास हैं। कई बच्चे ऐसे भी थे, जो घर-परिवार की कमजोर माली हालत या जागरूकता की कमी के चलते सातवीं-आठवीं आते-आते ड्रॉपआउट हो चुके थे। सफल स्टूडेंट्स में लड़कियों की संख्या ज्यादा है। ट्यूटोरियल क्लासेज के सफल स्टूडेंट्स में प्रीति कुमारी टॉपर रही, जिसे 500 अंकों की परीक्षा में 463 अंक हासिल हुए। प्रीति कहती हैं, “पुलिस अंकल क्लास से मिले मार्गदर्शन की वजह से मेरा हर डाउट क्लीयर होता रहा। जब भी किसी विषय में परेशानी हुई, शिक्षकों ने भरपूर मदद की।”

इन ट्यूटोरियल क्लासेज में जिले के पुलिस अफसर, इंस्पेक्टर, एसआई और एएसआई रैंक के पुलिसकर्मियों के अलावा कई शिक्षक स्वैच्छिक तौर पर नियमित रूप से क्लास लेते हैं। कम्युनिटी पुलिस के जरिए इन क्लासेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को समय-समय पर किताबें, कॉपियां, बैग, स्टेशनरी, वाटर बॉटल, टिफिन बॉक्स जैसे सामान निःशुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं। ज्यादातर सेंटर पंचायत भवनों में चलाए जाते हैं।

इस मुहिम की शुरुआत 2 अक्टूबर 2029 में सिमडेगा के तत्कालीन पुलिस कप्तान संजीव कुमार की पहल पर हुई थी। उस वर्ष विभिन्न थाना क्षेत्रों में 19 पुलिस अंकल ट्यूटोरियल खोले गए। 170 पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों ने इन केंद्रों पर रिसोर्स पर्सन यानी शिक्षक के तौर पर स्वैच्छिक रूप से योगदान किया। इस मुहिम में जिले के सभी पुलिस स्टेशनों के प्रभारी अधिकारियों को ट्यूटोरियल के बारे में जागरूकता फैलाने और ड्रॉपआउट बच्चों की पहचान करने का काम सौंपा गया और पहले ही साल तकरीबन 2000 से ज्यादा बच्चों ने इन सेंटर्स में एडमिशन लिया।

इस मुहिम की शुरुआत की कहानी भी रोचक है। तत्कालीन पुलिस कप्तान संजीव कुमार ने एक इलाके में जनता दरबार लगाया था। वहां एक 15 साल की बच्ची अपना दुखड़ा लेकर आई। उसने कहा कि वह पढ़ाई कर किरण बेदी जैसा बनना चाहती है, लेकिन घर की माली हालत इतनी खराब है कि घर के लोग उसे कमाने के लिए बाहर भेजना चाहते हैं। संजीव कुमार ने उसके माता-पिता को समझाया और दाखिला कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में करवा दिया। बाद में उन्होंने इलाके में सेना में भर्ती के लिए लगे कैंप के दौरान पाया कि कई ऐसे युवा भी वहां पहुंचे थे, जिनके पास इसमें शामिल होने के लिए न्यूनतम मैट्रिक की भी अर्हता नहीं थी। इसी वाकये के बाद उन्होंने कमजोर-गरीब परिवारों के बच्चों के लिए ट्यूटोरियल क्लासेज शुरू करने का फैसला किया।

मुहिम शुरू हुई तो यह सिलसिला लगातार आगे बढ़ता रहा। बाद में जिले में आए एसपी शम्स तबरेज और मौजूदा एसपी सौरभ कुमार ने भी इसे गति दी। हालांकि कोविड काल के दौरान क्लासेज कुछ महीनों के लिए बंद रहीं, लेकिन जैसे ही हालात सामान्य हुए, फिर से इनकी शुरुआत की गई। इस पहल के लिए सिमडेगा जिला पुलिस को कैपेसिटी बिल्डिंग अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।

--आईएएनएस

एसएनसी

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