नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। डॉक्टरों ने बुधवार को कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी में कंजंक्टिवाइटिस, जिसे आमतौर पर गुलाबी आंख (आई फ्लू) के रूप में जाना जाता है, के साथ-साथ डेंगू के मामलों में रिकॉर्ड वृद्धि देख रहे हैं।शार्प साइट आई हॉस्पिटल्स के चिकित्सा निदेशक डॉ. कमल बी कपूर ने आईएएनएस को बताया कि आई फ्लू के मामलों में आई अचानक वृद्धि का कारण भारी वर्षा और बाढ़ को माना जा सकता है, जिसने देश के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
उनका कहना है कि बाढ़ के कारण बढ़ी हुई नमी, मध्यम पर्याप्त तापमान, अस्वास्थ्यकर स्थितियां, दूषित जल आपूर्ति और तेज गति से चलने वाले वाहनों द्वारा सड़कों से गंदे पानी की एयरोसोलिंग संक्रमण को बढ़ाती है।
उन्होंने कहा,"हम देश भर में आई फ्लू के मामलों में अचानक वृद्धि की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं, अकेले दिल्ली-एनसीआर में जुलाई में 1,032 मामले दर्ज किए गए हैं। पिछले साल की समान अवधि (जुलाई 2022) की तुलना में संख्या में वृद्धि हुई है, जब दिल्ली-एनसीआर में 646 मामले थे। देश भर में 1,202 मामले सामने आए हैं, जो चिंता का कारण है।"
आई फ्लू जिसे आमतौर पर 'गुलाबी आंख' के रूप में जाना जाता है, अत्यधिक संक्रामक हो सकता है, जो दूषित सतहों और आंखों के स्राव के संपर्क से फैल सकता है।
इसके लक्षणों में खुजली, पानी जैसा स्राव, प्यूरुलेंट डिस्चार्ज, पलकों की सूजन, हल्की लालिमा शामिल है, और कभी-कभी, व्यक्तियों को रोशनी देखने पर धुंधली दृष्टि या चमक का अनुभव हो सकता है।
डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल में बाल नेत्र विज्ञान, स्ट्रैबिस्मस और न्यूरो नेत्र विज्ञान, डॉ सोवेता रथ के अनुसार, बच्चों में यह तेजी से फैल रहा है।
डॉ. रथ ने आईएएनएस को बताया कि "हमने देखा है कि आई फ्लू के मरीजों में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें ज्यादातर बच्चे हैं। हर तीसरे बच्चे की आंखें लाल हो जाती है या आई फ्लू हो जाता है। वास्तव में, पिछले सप्ताह, हमने ओपीडी में 30 से अधिक बच्चों को आई फ्लू के साथ देखा था।
उन्होंने कहा कि ''यह बढ़ोतरी मौसमी बदलाव के कारण हुई है। ऐसा इसलिए भी है इस साल अधिक बारिश हुई है, आश्चर्यजनक रूप से पानी की भारी कमी है और स्वच्छता संबंधी आदतों का अभाव है। बच्चे अक्सर वायरस/बैक्टीरिया से दूषित सतह को छूते हैं और उन्हीं हाथों से अपनी आंखें रगड़ते हैं जिससे संक्रमण फैलता है।"
डॉक्टरों ने प्रसार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए उचित सावधानी बरतने और जागरूकता बढ़ाने की सिफारिश की, साथ ही ओवर-द-काउंटर दवाओं के उपयोग पर भी चेतावनी दी।
डॉ. कपूर ने कहा कि उचित स्वच्छता बनाए रखना, प्रभावित व्यक्ति और आसपास के लोगों द्वारा बार-बार हाथ धोना, चेहरे को छूने से बचना, जरूरत पड़ने पर सुरक्षात्मक चश्मे का उपयोग करना और आंख से संबंधित कोई भी लक्षण महसूस होने पर पेशेवर चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
आई फ्लू के अलावा, राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू के मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है। डेंगू एक वायरल बुखार है जो वेक्टर जनित होता है और आमतौर पर हर साल मानसून के मौसम के बाद इसके मामले बढ़ जाते हैं। सामान्य लक्षणों में बुखार, रेट्रो ऑर्बिटल दर्द, गंभीर सिरदर्द, पेट में दर्द, उल्टी और कभी-कभी दस्त शामिल हैं।
मैक्स हॉस्पिटल वैशाली के इंटरनल मेडिसिन के निदेशक डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि हमारे ओपीडी में बुखार वाले लगभग 20 प्रतिशत मरीज डेंगू से पीड़ित हैं। जबकि वर्तमान में कई ऐसे हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरुरत नहीं है। ऐसे लोगों की ओपीडी में देखभाल की जा रही है, लेकिन कुछ मरीजों को प्लेटलेट की भी आवश्यकता है।
डॉ संतोष कुमार अग्रवाल, सीनियर कंसल्टेंट - इंटरनल मेडिसिन, मारेंगो एशिया हॉस्पिटल, सेक्टर 16, फरीदाबाद ने कहा कि हमारे पास आने वाले डेंगू रोगियों की संख्या में लगभग 10-12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के इंटरनल मेडिसिन के डॉ. शुचिन बजाज ने भी कहा कि अस्पताल में पिछले साल की तुलना में इस बार प्रति सप्ताह औसत डेंगू के मामले अधिक आ रहे हैं।
डेंगू के खतरे को रोकने के लिए डॉक्टरों ने सुरक्षात्मक कपड़े पहनने, मच्छर भगाने वाली दवाओं का उपयोग करने, पर्यावरण और आस-पास को साफ रखने साथ ही पानी जमा न होने देने और बच्चों को सुरक्षित रखने का सुझाव दिया है।
--आईएएनएस
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