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मणिपुर आदिवासी संगठन, मिजोरम के सांसद ने लोकसभा में अमित शाह की 'घुसपैठियों' वाली टिप्पणी की आलोचना की

प्रकाशित 11/08/2023, 02:57 am
मणिपुर आदिवासी संगठन, मिजोरम के सांसद ने लोकसभा में अमित शाह की 'घुसपैठियों' वाली टिप्पणी की आलोचना की

नई दिल्ली/इंफाल, 10 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में यह कहे जाने के एक दिन बाद कि मणिपुर में जारी हिंसा "कुकी घुसपैठियों" के कारण शुरू हुई, पूर्वोत्तर राज्य के एक आदिवासी संगठन ने गुरुवार को उनकी आलोचना की और कहा कि इस बयान में एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की राय प्रतिबिंबित हुई।मिजोरम से लोन मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के राज्यसभा सदस्य के. वनलालवेना ने भी मणिपुर के आदिवासियों पर शाह की टिप्पणियों का विरोध किया।

वनलालवेना ने शोर-शराबे के बीच राज्यसभा में कहा, "गृहमंत्री ने कहा कि मणिपुर में आदिवासी म्यांमार के हैं। हम म्यांमार के नहीं हैं, हम भारतीय हैं। हम ब्रिटिश प्रशासन के समय से भारत में रह रहे हैं, हम 200 से अधिक वर्षों से यहां रह रहे हैं।"

आदिवासी नेताओं ने गुरुवार को कहा कि इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) और सभी कुकी-ज़ो आदिवासी मणिपुर में जातीय संघर्ष के संबंध में बुधवार को लोकसभा में गृह मंत्री की टिप्पणियों के कारण उन्हें अपमानित महसूस कर रहे हैं।

आईटीएलएफ के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा कि तीन महीने की हिंसा में 130 से अधिक कुकी-ज़ो आदिवासियों की मौत हो गई, 41,425 आदिवासी नागरिकों का विस्थापन हुआ और मेटेई और आदिवासियों का पूर्ण शारीरिक और भावनात्मक अलगाव हुआ।

वुएलज़ोंग ने कहा, "और सबसे अच्छा स्पष्टीकरण जो गृहमंत्री दे सकते हैं, वह म्यांमार से शरणार्थियों का प्रवेश है। मिजोरम ने म्यांमार से 40,000 से अधिक शरणार्थियों और मणिपुर से विस्थापित लोगों का स्वागत किया है, और यह अभी भी भारत में सबसे शांतिपूर्ण राज्य है।"

आईटीएलएफ ने कहा कि बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति की मांग, वन भंडार पर सरकारी अधिसूचना जो आदिवासियों को उनकी भूमि से बेदखल कर देगी, और मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और कट्टरपंथी मैतेई बुद्धिजीवियों द्वारा आदिवासियों का दानवीकरण ही इस विश्‍वास का कारण है, जिसकी परिणति सांप्रदायिक झड़पों में हुई।

इसमें कहा गया है कि शरणार्थियों, जो किसी भी समुदाय के सबसे वंचित और असहाय वर्गों में से एक हैं, पर इस पैमाने पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाना बिल्कुल गलत है।

आईटीएलएफ ने कहा, "उनकी (मणिपुर सीएम) निगरानी में इतने सारे निर्दोष लोग मारे गए हैं और तीन महीने के बाद भी हिंसा बेरोकटोक जारी है। उनके अपने कई मंत्रियों ने केंद्र सरकार को यह कहते हुए प्रस्तुत किया है कि राज्य में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। इन सबके बावजूद उन्हें अभी भी बर्खास्त करने के बजाय केंद्र सरकार द्वारा सम्मान दिया जा रहा है। हम गृहमंत्री से मणिपुर में संकट से निपटने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठने की अपील करते हैं।

गृहमंत्री ने बुधवार को दिल्ली में आईटीएलएफ के सचिव मुआन टॉम्बिंग के नेतृत्व में छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ उनकी मांगों पर चर्चा की, जिसमें आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य शामिल है। सूत्रों ने बताया कि शाह ने मणिपुर में आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन या अलग राज्य की मांग को खारिज कर दिया।

आईटीएलएफ के सूत्रों ने कहा कि राज्य के पहाड़ी इलाकों के निवासियों की सुरक्षा के बारे में उनकी आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए शाह ने आश्‍वासन दिया कि केंद्रीय बलों की तैनाती को और मजबूत किया जाएगा और कमजोर अंतर वाले क्षेत्रों को पाटने के लिए इसे फिर से तैयार किया जाएगा।

वुएलज़ोंग ने बैठक में लिए गए निर्णयों का जिक्र करते हुए कहा, राज्य बल राज्य सुरक्षा सलाहकार के निर्देशन में और पहाड़ी क्षेत्रों में केंद्रीय बलों के साथ मिलकर काम करेंगे।

--आईएएनएस

एसजीके

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