नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कई स्थायी संसदीय समितियों का पुनर्गठन किया है। इनमें से गृह विभाग से जुड़ी स्थायी समिति में पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम को शामिल किया गया है।कांग्रेस के लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी पहले से ही इस समिति के सदस्य हैं। समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृज लाल हैं। पी. चिदंबरम से पहले राज्यसभा से कांग्रेस के सांसद प्रदीप भट्टाचार्य इस समिति में थे। हाल ही उनका कार्यकाल पूरा हो गया। इसके बाद सदस्य के रूप में पी. चिदंबरम की नियुक्ति की गई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश को राज्यसभा सभापति ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। राज्यसभा सभापति ने मंगलवार को कुल आठ स्थायी समितियों का पुनर्गठन किया है।
खास बात यह है कि पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम को इस गृह मामलों के संसदीय स्थायी समिति में तब नियुक्त किया गया जब समिति तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावित विधेयकों पर चर्चा कर रही है। संसदीय पैनल के समक्ष चर्चा के लिए लाए गए इन विधेयकों का उद्देश्य आपराधिक न्याय कानूनों-भारतीय दंड संहिता 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम-1872 और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 को पूरी तरह से बदलकर उनकी जगह पर नये कानून बनाने के लिए विधेयक लाये जायेंगे। इन कानूनों को क्रमश: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता नाम देने का भी प्रस्ताव है।
इन तीनों विधेयकों को हाल ही में समाप्त हुए मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में पेश किया था। संसद के दोनों सदनों की कुल 24 विभागीय संबंधित स्थायी समितियां हैं। इनमें हर समिति में 31 सदस्य होते हैं। इनमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा की स्थाई समितियां हैं। राज्यसभा की ओर से इस संदर्भ में एक अधिकारिक अधिसूचना जारी की गई है। राज्यसभा द्वारा जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि लोकसभा अध्यक्ष के परामर्श से राज्यसभा के सभापति ने आठ विभागीय संबंधित संसदीय स्थायी समितियों का पुनर्गठन किया है। यह 13 सितंबर 2023 से प्रभावी हो जाएंगी।
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