नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 अक्टूबर को नई दिल्ली में 9वें जी20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन (पी-20) का उद्घाटन करेंगे। भारत में आयोजित होने जा रहे जी-20 देशों की संसदों के अध्यक्षों के पी-20 सम्मेलन की जानकारी देते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि 9वीं पी-20 का मुख्य विषय 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए संसद' रखा गया है। सम्मलेन में जी-20 देशों के अलावा 10 अन्य देश और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि, अब तक - 26 अध्यक्षों, 10 उपाध्यक्षों, 1 समिति अध्यक्ष और आईपीयू अध्यक्ष समेत विभिन्न देशों के 50 संसद सदस्यों और 14 महासचिवों ने इस सम्मेलन में भागीदारी की पुष्टि की है।
बिरला ने बताया कि पैन अफ़्रीकी संसद के अध्यक्ष पहली बार भारत में पी-20 कार्यक्रम में भाग लेंगे। कनाडा और चीन के प्रतिनिधियों के पी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए बिरला ने बताया कि कनाडा की सीनेट (संसद) के स्पीकर ने लिखित में दिल्ली में होने जा रहे पी-20 सम्मेलन में शामिल होने की सूचना दे दी है।
चीन के शामिल होने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए बिरला ने बताया कि जी-20 से जुड़े सभी देशों को निमंत्रण भेजा गया है। बिरला ने बताया कि, दो दिवसीय 9 वां पी- 20 शिखर सम्मलेन 13 और 14 अक्टूबर 2023 को दिल्ली के द्वारका में नवनिर्मित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर यशोभूमि में आयोजित होने जा रहा है। शिखर सम्मेलन से पहले 12 अक्टूबर को, पर्यावरण के लिए जीवन शैली पर एक संसदीय फोरम आयोजित किया जाएगा।
बिरला ने यह भी बताया कि पी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान चार उच्च स्तरीय सत्रों- एसडीजी के लिए एजेंडा 2030: उपलब्धियों का प्रदर्शन, प्रगति में तेजी लाना; सतत ऊर्जा परिवर्तन: हरित भविष्य के प्रवेश द्वार;, लैंगिक समानता को मुख्यधारा में लाना: महिला सशक्तिकरण एवं महिलाओं के नेतृत्व में विकास; और सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने पर सत्रों का आयोजन किया जाएगा।
इन सत्रों में जी-20 सदस्यों और अतिथि देशों को साथ लाकर “संसद किस प्रकार पी-20 के उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ा सकती है” विषय पर व्यापक विचार-विमर्श होगा। बिरला ने कहा कि शिखर सम्मेलन का समापन संयुक्त वक्तव्य के साथ होगा, जिसमें जी-20 सरकारों से समानता, समावेशिता और शांति के आधार पर प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का समाधान देने का आग्रह किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि भारत की प्राचीन और सहभागी लोकतांत्रिक परंपराओं को उजागर करने हेतु 'मदर ऑफ डेमोक्रेसी' प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी।
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