मुंबई, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने सोमवार को मुंबई की पूर्व संयुक्त पुलिस आयुक्त और पुणे की पूर्व पुलिस आयुक्त मीरां चड्ढा-बोरवंकर द्वारा लिखी गई किताब में 'दादा' के नाम से मशहूर एक वरिष्ठ राजनेता का जिक्र हैकरने वाले कुछ संकेतों की जांच की मांग की। किताब "मैडम कमिश्नर : द एक्स्ट्राऑर्डिनरी लाइफ ऑफ एन इंडियन पुलिस चीफ" का रविवार को लोकार्पण हुआ, जिसके बाद लगभग 14 साल पहले पुणे के यरवदा में एक कथित भूमि-घोटाले से संबंधित एक राजनीतिक व्यक्तित्व के कुछ संदर्भों पर राजनीतिक हलकों में तूफान खड़ा हो गया।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और विपक्ष के नेता विजय वडेत्तीवार ने मामले की जांच की मांग करते हुए कहा है कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि किताब में वर्णित 'दादा' कौन हैं।
पटोले ने कहा, "राज्य में क्या हो रहा है... मौजूदा सरकार के खिलाफ पुलिस प्रशासन में गहरी नाराजगी है। भारतीय जनता पार्टी के कुछ लोग विवादास्पद आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला को डीजीपी बनाने की साजिश कर रहे हैं।"
वडेत्तीवार ने कहा कि सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी की किताब में कुछ घटनाओं का जिक्र है, जिनकी सच्चाई तक पहुंचने के लिए जांच की जरूरत है।
मीरां चड्ढा-बोरवंकर साल 2010 से 2012 तक पुणे पुलिस प्रमुख रहीं। उन्होंने किताब में बताया है कि 'दादा' और पुणे जिले के तत्कालीन संरक्षक मंत्री ने उन पर तीन एकड़ का एक प्रमुख भूखंड यरवदा के एक निजी बिल्डर को देने के लिए दबाव डाला था।
उन्होंने मंत्री के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र किया, जिनके पास भूखंड क्षेत्र का एक बड़ा कागजी नक्शा था। उन्होंने उन्हें सूचित किया कि जमीन की नीलामी खत्म हो गई है और उन्हें शीर्ष बोली लगाने वाले को भूखंड सौंपने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
मीरां ने विरोध करते हुए कहा था कि यह पुलिस महकमे की जमीन है, जो भविष्य में पुलिसकर्मियों के लिए कार्यालयों/आवासीय क्वार्टरों के विस्तार के लिए है। यह जमीन उन्हें कभी नहीं मिल सकती।
मंत्री ने उनकी बात खारिज कर दी और उनसे (जमीन सौंपने की) प्रक्रिया पूरी करने को कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने नीलामी प्रक्रिया में खामियां बताईं और पूछा कि अगर जमीन पहले ही नीलाम हो चुकी है तो उनके पूर्ववर्ती ने ऐसा क्यों नहीं किया, और यह पुलिस विभाग के हित के विपरीत होगा।
मंत्री ने अपना आपा खो दिया था और नक्शे को कांच की मेज पर फेंक दिया था। उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री दिवंगत आर.आर. पाटिल मंत्री के बारेे में कुछ अरुचिकर संदर्भ दिए, जिसे लेखिका ने स्पष्ट नहीं किया है। लेकिन उस ठंडी मुठभेड़ के बाद मीरां ने मंत्री को सलाम किया और वहां से चली गईं।
मौजूदा डिप्टी सीएम और पुणे के नवनियुक्त संरक्षक मंत्री अजीत पवार ने उस मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। मीरां चड्ढा-बोरवंकर ने इस विवाद पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करने का फैसला किया है।
संयोग से, मीरां से पहले पुणे के दो अन्य पूर्व सीओपी ने भी मुंबई के एक बिल्डर के साथ जमीन के सौदे पर आपत्ति जताई थी और पुलिस विभाग के कड़े विरोध के बाद राज्य सरकार ने 2011 में इस मामले की नए सिरे से जांच करवाई थी।
आईएएनएस के कई प्रयासों के बावजूद मीरां चड्ढा-बोरवंकर अपनी किताब को लेकर उठे विवाद पर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो पाईं। हालांकि उन्होंने किताब में तत्कालीन मंत्री का नाम नहीं लिखा है, सिर्फ 'दादा' लिखा है, लेकिन राजनीतिक हलकों में अजित पवार को सम्मानपूर्वक 'दादा' (बड़ा भाई) कहा जाता है, वह उस समय संरक्षक मंत्री थे और मुंबई स्थित बिल्डर को बाद में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
--आईएएनएस
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