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दोषियों की समय पूर्व रिहाई यांत्रिक नहीं होनी चाहिए: दिल्ली हाई कोर्ट

प्रकाशित 06/11/2023, 05:55 pm
दोषियों की समय पूर्व रिहाई यांत्रिक नहीं होनी चाहिए: दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि लंबे समय तक जेल में रहने वाले दोषियों की समय पूर्व रिहाई के आवेदन को यांत्रिक और लिपिकीय तरीके से नहीं निपटाया जाना चाहिए।न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी एक दोषी हरि सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसे एक विमान अपहरण का दोषी ठहराए जाने के बाद 19 साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया था।

उसने उप सचिव (गृह) द्वारा 2021 में समय पूर्व रिहाई के अपने आवेदन की अस्वीकृति को चुनौती दी थी।

सिंह को 2021 में अपहरण विरोधी अधिनियम, 1982 और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उसने तर्क दिया कि वह अप्रैल 1993 से न्यायिक हिरासत में है।

अदालत ने कहा कि कारावास का उद्देश्य, यहां तक कि सबसे गंभीर अपराधों के लिए भी, सुधारात्मक है, न कि प्रतिशोधात्मक, खासकर जब एक दोषी को कारावास की पर्याप्त और लंबी अवधि से गुजरना पड़ा हो।

इसमें कहा गया है कि दोषी की उम्र, स्वास्थ्य, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, पारिवारिक संबंध, सजा के बाद और जेल में आचरण जैसे अन्य कारकों पर विचार किए बिना, केवल अपराध की प्रकृति के आधार पर किसी दोषी को छूट का लाभ देने से इनकार करना न्‍याय के हित में नहीं होगा।

वह 2019 में समय से पहले रिहाई के पात्र बन गया था, लेकिन उनका नाम दो साल की देरी के बाद सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) को भेजा गया था।

सिंह ने आरोप लगाया कि एसआरबी ने दिल्ली जेल नियमों और उनके संवैधानिक अधिकारों के विपरीत, यांत्रिक तरीके से उनके आवेदन को खारिज कर दिया।

अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि माफी पर निर्णय लेते समय इंडियन एयरलाइंस की उड़ान के अपहरण से जुड़े सिंह के अपराध की गंभीरता और जघन्यता पर विचार किया जाना चाहिए।

अदालत ने सिंह को राहत देते हुए मामले को स्पष्ट तर्क के साथ समयपूर्व रिहाई के आवेदन पर पुनर्विचार करने के लिए महानिदेशालय (जेल) और एसआरबी को वापस भेज दिया।

अदालत ने रेखांकित किया कि एसआरबी ने केवल उस कारक पर विचार किया था कि क्या अपराध ने बड़े पैमाने पर समाज को प्रभावित किया था, लेकिन अन्य कारकों को संबोधित करने में विफल रहा।

अदालत ने कहा कि हालांकि वह सिंह के अपराध की गंभीरता से अवगत है, लेकिन यह उसकी समय पूर्व रिहाई से इनकार करने का एकमात्र कारण नहीं होना चाहिए।

सिंह ने लगभग 16 साल और पाँच महीने की कैद काटी थी, और कुल मिलाकर लगभग तीन साल और नौ महीने की छूट अर्जित की थी।

उसके समग्र जेल आचरण को संतोषजनक माना गया था, और उसे बिना कई बार जमानत, पैरोल और फर्लो दी गई थी जिसमें कोई घटना नहीं हुई।

--आईएएनएस

एकेजे

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