iGrain India - लंदन । अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का भाव पहले से ही काफी ऊंचे स्तर पर मौजूद है जबकि आगामी महीनों के दौरान इसमें कुछ और बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। इससे एशिया एवं अफ्रीका के गरीब देशों की कठिनाई बढ़ सकती है।
वैश्विक बाजार में पिछले दो महीनों के दौरान चीनी के दाम में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई और अब यह वर्ष 2011 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर चला गया है।
ध्यान देने की बात है कि भारत और थाईलैंड की वजह से वैश्विक बाजार में चीनी की मांग एवं आपूर्ति के बीच संतुलन बना रहता था लेकिन इस बार इन दोनों देशों में अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से गन्ना की फसल क्षतिग्रस्त होने से चीनी का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।
भारत सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए चीनी का निर्यात रोक दिया है और निकट भविष्य में इसके शिपमेंट की अनुमति दिए जाने की संभावना भी नहीं है। भारत दुनिया में चीनी का सबसे प्रमुख खपतकर्ता देश है।
उधर थाईलैंड में भी गन्ना एवं चीनी के उत्पादन में काफी गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। मालूम हो कि थाईलैंड में चीनी की घरेलू खपत काफी कम होती है इसलिए उसे अपने उत्पादन का अधिकांश भाग का निर्यात करने का अवसर मिल जाता है। लेकिन इस बार वहां उत्पादन घटने से चीनी के निर्यात योग्य स्टॉक में कमी आएगी।
संयुक्त राष्ट्र संघ की अधीनस्थ एजेंसी - खाद्य एवं कृषि संगठन (फाओ) ने चीनी का वैश्विक उत्पादन 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में 2 प्रतिशत घटने की संभावना व्यक्त की है। यह गिरावट 35 लाख टन के समतुल्य है।
एथनॉल निर्माण में चीनी के बढ़ते उपयोग के कारण इसका वैश्विक बकाया स्टॉक घटकर वर्ष 2009 के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गया है जबकि खाद्य उद्देश्य में भी चीनी की मांग एवं खपत तेजी से बढ़ रही है।
हालांकि सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- ब्राजील में चीनी के उत्पादन की स्थिति बेहतर है लेकिन वह वैश्विक उत्पादन में आने वाली कमी की आंशिक भरपाई करने में ही समक्ष हो सकेगा।
इधर भारत में चीनी का उत्पादन 8 प्रतिशत घटने का अनुमान लगाया जा रहा है। थाईलैंड में अक्टूबर 2023 के दौरान चीनी का उत्पादन करीब 15 प्रतिशत घटने की संभावना व्यक्त की गई है।