नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय बाजार में एनपीओ के काम करने के तरीके में भारी परिवर्तन हो रहा है। एमएमजेसी एंड एसोसिएट्स के संस्थापक मकरंद एम जोशी ने कहा है कि यह केवल यह सत्यापित करने के बारे में नहीं है कि इसका उपयोग क्या इस उद्देश्य के लिए किया गया था, बल्कि इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि क्या इससे गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) द्वारा किए गए हस्तक्षेप के बाद वंचितों या लाभार्थियों पर कोई प्रभाव पड़ा?सेबी बोर्ड की बैठक में हाल ही में 'सामाजिक लेखा परीक्षक' को 'सामाजिक प्रभाव मूल्यांकनकर्ता' में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
सेबी बोर्ड द्वारा सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर न्यूनतम आवेदन आकार और न्यूनतम इश्यू आकार में कमी को मंजूरी देने पर जोशी ने कहा कि इंडियन कॉरपोरेशंस पहले ही सीएसआर पर 25,000-30,000 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं। इसलिए एनपीओ के लिए धन जुटाने का एक बड़ा बाजार है। तो यह उन लोगों के लिए एक अवसर है जो सामाजिक कार्य करना चाहते हैं और प्रभाव डालना चाहते हैं। अच्छे कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं है।
सेबी बोर्ड ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर एनपीओ द्वारा धन जुटाने को प्रोत्साहन देने के उपायों को मंजूरी दे दी।
इसमें एसएसई पर एनपीओ द्वारा जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट्स (जेडसीजेडपी) के पब्लिक इशू के मामले में न्यूनतम इश्यू आकार को 1 करोड़ रुपये से घटाकर 50 लाख रुपये करना शामिल है।
एसएसई पर एनपीओ द्वारा जेडसीजेडपी के पब्लिक इशू के मामले में न्यूनतम आवेदन आकार को 2 लाख रुपये से घटाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है, जिससे खुदरा समेत ग्राहकों की व्यापक भागीदारी संभव हो सकेगी।
इसने एनपीओ को सुविधा प्रदान करने और सामाजिक क्षेत्र के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त करने के लिए 'सामाजिक प्रभाव मूल्यांकनकर्ता' के साथ 'सामाजिक लेखा परीक्षक' के नामकरण को बदलने को भी मंजूरी दे दी।
--आईएएनएस
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