मुंबई, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। बीएमसी के एलटीएमजी सायन अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम एक गर्भवती महिला को बचाने में कामयाब रही जिसका गर्भाशय फट चुका था और उसमें बच्चा मर चुका था। अधिकारियों ने यहां सोमवार को यह जानकारी दी।उत्तर-पूर्व मुंबई के गोवंडी उपनगर की रहने वाली 38.2 सप्ताह की गर्भवती 29 वर्षीय महिला को हाल ही में अस्पताल ले जाया गया था।
डॉ. निरंजन चव्हाण, डॉ. पुष्पा सी, डॉ. दर्शना अजमेरा, डॉ. मोनिका धौसाक और डॉ. स्वरा पटेल के नेतृत्व में चिकित्सकों की एक टीम ने उनकी जांच की। अल्ट्रासाउंड परीक्षण में पता चला कि गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गई है और गर्भनाल पूरी तरह से रोगी के आंतरिक अंगों में फैला हुआ है।
डॉ. चव्हाण ने कहा, “रोगी को पिछले 12 घंटों से सहनीय दर्द हो रहा था, जो योनि से रक्तस्राव से जुड़ा नहीं था… और न ही कोई लक्षण दिख रहा था। पेट की शारीरिक जांच के दौरान, जो नरम और कोमल था, भ्रूण के हिस्सों को महसूस किया जा सकता था, लेकिन गर्भाशय की रूपरेखा स्पष्ट नहीं थी, और भ्रूण के दिल की धड़कन सुनाई नहीं दे रही थी।
रोगी को, जिसका एक चार साल का बेटा है, दोबारा प्रसूति अल्ट्रासाउंड स्कैन के लिए भेजा गया, जिसमें खाली गर्भाशय गुहा और पेट की गुहा में गर्भाशय के बाईं ओर मृत भ्रूण दिखाई दिया।
चव्हाण की टीम ने महिला को आपातकालीन सर्जरी के लिए भेजा और निचले हिस्से में कटे हुए घाव को टांके लगाकर सफलतापूर्वक गर्भाशय को जोड़ने में कामयाब रही, जिससे उसकी जान और गर्भाशय बच गये।
साथ ही मृत भ्रूण का भी प्रसव कराया गया और मां के पेट में जमा करीब आधा लीटर खून भी निकाला गया।
चव्हाण ने कहा, पांच दिनों की पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल के बाद, मरीज को इस सप्ताह छुट्टी दे दी गई, और उसके बाद की जाँच में उसे ठीक पाया गया।
एलटीएमजी सायन अस्पताल के डीन डॉ. मोहन जोशी ने कहा कि पहले सीज़ेरियन प्रसव वाले मरीजों में गर्भाशय फटने की घटना लगभग 0.3 प्रतिशत (3/1,000 प्रसव) होती है।
जोशी ने नागरिक अस्पताल में सामने आए असामान्य और अपनी तरह के अनूठे मामले में मरीज के सफल प्रबंधन के लिए अपनी टीम की सराहना की।
--आईएएनएस
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