नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। एक रिपोर्ट में यह बात समाने आई है कि फार्मास्युटिकल्स, हेल्थकेयर और बायोटेक क्षेत्रों के लगभग 93 प्रतिशत भारतीय कर्मचारी अपने कार्यस्थल को शारीरिक रूप से सुरक्षित मानते हैं, वहीं 12 प्रतिशत को मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक सुरक्षा में कमी महसूस होती है। ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया के अनुसार, 81 प्रतिशत कर्मचारी अन्य उद्योगों के साथ तालमेल बिठाते हुए कार्यस्थल पर लचीलेपन का अनुभव करते हैं।
हालांकि, पिछले वर्ष की तुलना में नवाचार के अवसरों का अनुभव करने वाले कर्मचारियों में 4 अंक की गिरावट आई है।
ग्रेट प्लेस टू वर्क की सीईओ यशस्विनी रामास्वामी ने कहा, "भारत का फार्मास्युटिकल क्षेत्र अनुसंधान और नवाचार का एक शानदार उदाहरण बनकर उभरा है। इस सफलता का श्रेय एक मजबूत वैज्ञानिक और तकनीकी आधार, मजबूत सरकारी समर्थन, एक संपन्न घरेलू बाजार और लागत प्रतिस्पर्धी विनिर्माण को दिया जाता है।''
मजबूत नेतृत्व और गर्व से भरे कार्यबल के बावजूद, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि उद्योग एक चंचल माहौल बनाने और जमीन से खुले संचार को बढ़ावा देने के लिए संघर्ष कर रहा है।
प्रतिभा प्रबंधन के क्षेत्रों में उत्साहजनक वृद्धि देखी गई है। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार निष्पक्ष और रचनात्मक कार्य वातावरण तैयार करने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
इसके अलावा ईवाई फिक्की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय फार्मास्युटिकल बाजार 2023 के अंत तक 130 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की ओर अग्रसर है, जो मरीजों को नई, नवीन दवाएं देने पर बढ़ती आम सहमति को दर्शाता है।
इसके साथ ही वैश्विक फार्मास्युटिकल सामान बाजार के 2023 में वन ट्रिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है, जो इस क्षेत्र के वैश्विक महत्व को रेखांकित करता है।
--आईएएनएस
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