आइजोल, 17 मार्च (आईएएनएस)। मिजोरम विधानसभा चुनावों में नवंबर 2023 में अपनी जीत के पाँच महीने बाद ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) अपना पहला संसदीय चुनाव लड़ेगा। राज्य की एकमात्र सीट के लिए लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा।दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के सुरक्षा अधिकारी रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी मुख्यमंत्री लालडुहोमा के नेतृत्व में 2018 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले गठित जेडपीएम ईसाई बहुल मिजोरम में 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए 7 नवंबर 2023 को हुए चुनावों में 27 सीटें हासिल करके पहली बार सत्ता में आया।
उग्रवादी संगठन से राजनीतिक दल बने मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) (महज 10 सीटें) को विधानसभा चुनाव में अपमानजनक हार का स्वाद चखाने वाला जेडपीएम एक बार फिर संसदीय चुनावों में कांग्रेस के अलावा एमएनएफ से मुकाबला करेगा।
कांग्रेस और एमएनएफ दोनों ने 20 फरवरी 1987 को देश का 23वाँ राज्य बनने के बाद से मिजोरम पर कई वर्षों तक शासन किया था।
मुख्यमंत्री लालडुहोमा ने, जो राज्य से सांसद रहे हैं, 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले और बाद में घोषणा की थी कि उनकी जेडपीएम न तो काँग्रेस के नेतृत्व वाले 'इंडिया' ब्लॉक और न ही भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ गठबंधन करेगी। एमएनएफ की तरह, जेडपीएम भी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और समान नागरिक संहिता का कड़ा विरोध करता है और मिज़ो परंपरा, संस्कृति और जातीयता से संबंधित मुद्दों को उठाने का वादा करता है।
मिजोरम की एकमात्र लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित है। राज्य की 12 लाख की आबादी का लगभग 95 प्रतिशत इसी समुदाय से है।
मिजोरम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मधुप व्यास ने कहा कि पिछले कुछ दशकों से, राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या उनके पुरुष समकक्षों से अधिक है। इस प्रकार वे पहाड़ी राज्य में प्रत्येक चुनावी लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
उन्होंने कहा कि मिजोरम में कुल 8,61,277 मतदाताओं में से 4,14,777 पुरुष; 4,41,520 महिला; और 4,980 सेवा मतदाता हैं। व्यास के अनुसार, मिजोरम में लिंग अनुपात 1,064 है और इसके 11 जिलों में से ममित एकमात्र ऐसा जिला है जहाँ महिलाओं की तुलना में पुरुष मतदाता अधिक हैं।
इस वर्ष 8 फरवरी को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, 36 हजार 214 युवा मतदाता (18-19 वर्ष), चार हजार 758 वरिष्ठ नागरिक मतदाता (85 वर्ष और अधिक) और तीन हजार 399 दिव्यांग मतदाता हैं।
मिजोरम में 1,276 मतदान केंद्र हैं जो 2019 के चुनाव से 101 अधिक है। यह चुनाव पर्यावरण के अनुकूल होगा और चुनाव आयोग ने पार्टियों और उम्मीदवारों को सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग से बचने की सलाह दी है।
चुनाव अधिकारियों ने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए तीन हजार से अधिक राज्य पुलिसकर्मियों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की 15 कंपनियों (लगभग 1,000 कर्मी) को तैनात किया जाएगा, हालाँकि मिजोरम उन राज्यों में से एक है जहाँ चुनाव संबंधी हिंसा और घटनाएँ हमेशा लगभग शून्य होती हैं।
चुनाव खर्चों की निगरानी के लिए कई टीमों को नियुक्त किया गया है, और नशीली दवाओं, शराब तथा अन्य हानिकारक पदार्थों के खतरे को रोकने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं।
--आईएएनएस
एकेजे/