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वकीलों के पास वैश्विक नियमों को आकार देने का अवसर है : अभिषेक मनु सिंघवी

प्रकाशित 27/03/2024, 08:55 pm
© Reuters.  वकीलों के पास वैश्विक नियमों को आकार देने का अवसर है : अभिषेक मनु सिंघवी
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नई दिल्ली, 27 मार्च (आईएएनएस)। संसद सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि राष्ट्र का निर्माण मूल रूप से सुशासन की नींव पर निर्भर होता है जो कानून द्वारा नियंत्रित होता है।'जी20 देशों के आर्थिक विकास में वकीलों की भूमिका और कानूनी पेशा' विषय पर जी20 कॉन्क्लेव में अपने उद्घाटन भाषण में सम्मानित अतिथि के तौर पर उपस्थित अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "जी20 जैसी पहल कुछ आवश्यक विचारधाराओं पर आधारित हैं। इनमें स्पष्ट सामूहिक कार्रवाई, सार्वभौमिक दृष्टिकोण, वैश्विक नागरिकता, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, तालमेल और सहयोग शामिल हैं जो अंततः उस खूबसूरत वाक्यांश 'वसुधैव कुटुंबकम' में समाहित हैं।''

उन्होंने कहा, "युवा वकीलों के समक्ष नीति निर्माताओं, औद्योगिक नेताओं और नागरिक समाज के साथ जुड़कर वैश्विक नियमों को वास्तव में आकार देने और इसमें भागीदार बनने का अवसर है।"

उन्होंने कहा, "कानून के क्षेत्र से जुड़ा समुदाय भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन, देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे रहा है। हम सभी महात्मा गांधी से लेकर अंबेडकर से लेकर नेहरू, सरदार पटेल और अन्य तक के कानून के क्षेत्र से संबंध को जानते हैं। लेकिन, लिंकन से लेकर मंडेला तक, कानून के पेशेवरों के जी20 देशों में योगदान के बारे में कम ही लोग जानते हैं।"

"इन व्यक्तियों का योगदान कोर्ट रूम से कहीं आगे विस्तृत है। उन्होंने भावी पीढ़ियों के लिए अपने-अपने राष्ट्रों को आकार दिया और यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कानूनी पेशा औद्योगीकरण और आर्थिक विकास के केंद्र में है।

"इन सब में कानून का सिद्धांत शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुबंधों को लागू किया जाता है, सभी के लिए एक समान अवसर मौजूद है, विवादों को या तो कम से कम किया जाए या अच्छी तरह से प्रबंधित किया जाए, और यह भी कि इन कानूनी पेचीदगियों और न्यायक्षेत्रों से निपटने के लिए लोगों तथा व्यवसायों को सही ढंग से सलाह दी जाए।"

डॉ. सिंघवी ने यह भी चेतावनी दी कि वैश्वीकरण के साथ कई नई चुनौतियां भी सामने आई हैं।

सांसद ने कहा, "इसका दूसरा पहलू यह है कि अपराध और अपराधी किसी संप्रभुता या सीमाओं के दायरे में बंधे नहीं रहते हैं। उदाहरण के लिए साइबर अपराध या साइबर आतंकवाद को लें। कोई भी जी20 देश अकेले इससे नहीं निपट सकता। वकीलों को निवारण और निवारक तंत्र को डिजाइन करने में सबसे आगे होना चाहिए। जी20 के अधिक सीमित दायरे में भी सहयोग और समन्वय की आवश्यकता होगी, क्योंकि इनमें से किसी को भी अकेले किसी इकाई द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

"युवा वकीलों को नए नियमों के सामंजस्य के क्षेत्रों में काम करना चाहिए और यह न केवल कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर लागू होता है, बल्कि डेटा गोपनीयता, डेटा सुरक्षा, एआई प्रणालियों में पूर्वाग्रह को कम करने जैसे संबंधित विषयों पर भी लागू होता है। यहां जी20 वकीलों को भी खुद को तटस्थ तृतीय पक्ष के रूप में काम करने, कुशल विनियमन की सुविधा प्रदान करने और, सबसे महत्वपूर्ण बात, संघर्षों को हल करने के लिए एक प्रतिमान या तंत्र बनाने के लिए तेयार रहना चाहिए।"

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति और डॉ. जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के डीन डॉ. सी. राज कुमार ने अपने स्वागत भाषण में कहा, "कॉन्क्लेव का विषय जी20 देशों के आर्थिक विकास में वकीलों और कानूनी पेशे की भूमिका है। जी20 देशों और इन देशों के आर्थिक विकास बड़े परिप्रेक्ष्य में वकीलों और कानूनी पेशे की भूमिका का सवाल अब तक कम अध्ययन किए गए पहलुओं में से एक है।"

प्रोफेसर डेविड विल्किंस भारत के विजन के साथ-साथ दुनिया में इसकी अनूठी स्थिति में विश्वास करते थे। उनका शोध कार्य भारत पर केंद्रित था जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कानूनी पेशे पर एक असाधारण पुस्तक कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित की गई थी। यह कॉन्क्लेव उनकी सोच का परिणाम थी जिसे एक महीने से भी कम समय में आयोजित किया गया है और हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि एक प्रतिष्ठित वकील, एक सार्वजनिक बुद्धिजीवी, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ वकील, संसद के एक प्रतिष्ठित सदस्य डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी उद्घाटन भाषण दे रहे हैं।"

कॉन्क्लेव के थीम का परिचय हार्वर्ड लॉ स्कूल के वाइस डीन और लेस्टर किसेल प्रोफेसर ऑफ लॉ प्रो. डेविड बी. विल्किंस ने दिया। उन्होंने कहा, "पिछले कुछ वर्षों की घटनाएं वास्तव में और भी बड़े बदलावों का एक लक्षण हैं जिन्होंने हमारी दुनिया को बदल दिया है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण और आर्थिक गतिविधियों का वैश्विक उत्तर और पश्चिम से दक्षिण और पूर्व की ओर बढ़ना, जिसमें चीन तथा भारत जैसे हमारे मित्र भी शामिल हैं, तथा इन सबके मिलेजुले असर से उत्पन्न जटिलता जो एक प्रकार के विस्फोट का कारण बना, जिसकी वजह से कानून विनियमन और जोखिम का समना सभी संगठन कर रहे हैं।

"कोविड संकट के बाद से नए कानून और कार्यक्रम, पुन: डिज़ाइन किए गए संस्थान और ऑनलाइन अदालतें, प्रोत्साहन उपाय, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, रोजगार के इर्द-गिर्द महामारी की चुनौती, पारंपरिक कॉर्पोरेट नीतियों में सुधार, ऑनलाइन कार्य आपूर्ति श्रृंखला, डेटा गोपनीयता और सुरक्षा, कॉर्पोरेट प्रशासन और यह कि हमें केवल शेयरधारकों के बारे में नहीं सोचना है बल्कि अन्य हितधारकों के साथ शेयरधारकों के हितों को संतुलित करना है, एक महत्वपूर्ण विकास है। ये नए कानून पारंपरिक विचारों और एक वकील होने का क्या मतलब है और वकीलों को क्या करना चाहिए इस सोच को चुनौती दे रहे हैं।"

विशेष भाषण अमेरिकन बार एसोसिएशन (एबीए) इंडिया कमेटी की अध्यक्ष और एबीए इंडिया कमेटी की रणनीति प्रमुख तथा एवरस्टन की ग्रुप जनरल काउंसिल प्रतिभा जैन ने दिया। उन्होंने कहा, "निवेश कंपनियां पूंजी बाजार के अलावा किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि के मूल में हैं। वैकल्पिक निवेश उद्योग जी20 देशों की आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण रहा है।

"निजी इक्विटी, हेज फंड, रियल एस्टेट फंड जैसे वैकल्पिक निवेश का योगदान इन देशों में स्टार्ट-अप के विकास और नवाचार पूंजी के प्रावधान के लिए महत्वपूर्ण है। किसी भी फर्म को नए क्षेत्राधिकार में नए व्यवसाय संचालित करने या स्थापित करने के लिए, उन्हें न केवल स्थानीय कानूनों बल्कि सीमा पार के कानूनों और उस देश के कानूनों से भी निपटना होगा जहां से वे निवेश कर रहे हैं।

"एक अच्छी तरह से काम करने वाली कानूनी प्रणाली निवेश को आकर्षित करती है और दीर्घकालिक आर्थिक विकास में योगदान देती है। एक मजबूत कानूनी पेशा एक अभिनव अर्थव्यवस्था, नीति, वकालत और विधायी सुधार बनाने के लिए अभिन्न अंग है।"

जिंदल ग्लोबल सेंटर फॉर जी20 स्टडीज के डीन और निदेशक डॉ. मोहन कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "भू-राजनीति को कभी नजरअंदाज न करें! जो लोग अंतर्राष्ट्रीय कानून के लिए प्रतिबद्ध हैं और जो वास्तव में नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था बनाना चाहते हैं, उनके बीच मतभेद है।"

"जी20 ने हमेशा भ्रष्टाचार के लिए कानूनी व्यक्तियों के दायित्व के बारे में बात की है, और वे इस संबंध में उच्च सिद्धांत पेश करना चाहते हैं। ब्राजील ने कानूनी व्यक्तियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जिम्मेदारी के लिए जी20 उच्च स्तरीय सिद्धांतों के निर्माण का बीड़ा उठाया है।"

--आईएएनएस

एकेजे/

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