नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। भारत और ताइवान के बीच व्यापार में हाल के वर्षों में काफी बढ़ोतरी हुई है। दोनों देश आपसी सहयोग से लगातार निवेश और तकनीक साझा कर रहे हैं, जिससे भारत और ताइवान के बीच व्यापार 25 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की ओर से ये जानकारी दी गई है।ताइवान बाहरी व्यापार विकास परिषद में दक्षिण एशिया अनुभाग (बाजार विकास विभाग) के विशेषज्ञ पीटर हुआंग (जो भारत में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं) ने कहा, "ताइवानी इंडस्ट्री के लिए भारत एक मित्र देश है। उनके साथ हमारे वाणिज्यिक संबंधों में तेजी से इजाफा हो रहा है। यह भारत के लिए हमारा 15वां व्यापार प्रतिनिधिमंडल है।
उन्होंने आगे कहा, "ताइवानी कंपनियों के लिए भारत एक अनछुआ बाजार है। यहां व्यापार और निवेश की काफी संभावनाएं हैं। इलेक्ट्रॉनिक, ऑटो-पार्ट्स, मशीनरी, फूड प्रोसेसिंग, मेडिकल उपकरण और अन्य सेक्टरों में यहां निवेश के काफी मौके हैं।"
ताइवान अपनी "नई साउथबाउंड पॉलिसी" के तहत भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार मानता है। दोनों देशों ने प्रवासी अनुबंध भी किया हुआ है, जिसके तहत भारतीय कर्मचारी आसानी से ताइवानी इंडस्ट्रीज में काम कर सकते हैं।
एमवीआईआरडीसी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर मुंबई के अध्यक्ष विजय कलंत्री ने कहा कि भारत-ताइवान आर्थिक संबंध महत्वपूर्ण मोड़ पर है। भारत ने पहली बार ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन के सीईओ यंग लियू को पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया, जो दिखाता है कि भारत और ताइवान के संबंध मजबूत हो रहे हैं।
ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (टीईसीसी) भी भारत में अपने तीसरे ऑफिस की योजना को लेकर कार्य कर रहा है।
इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि मौजूदा समय में भारत और ताइपे का व्यापार 8 अरब डॉलर का है जो निवेश और तकनीक शेयरिंग के कारण 25 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। 8 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार में ताइवान भारत को 6 अरब डॉलर निर्यात करता है, जबकि 2 अरब डॉलर का आयात करता है।
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