iGrain India - कराईकल । पांडिचेरी के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस वर्ष कराईकल क्षेत्र में 1060 हेक्टेयर में कपास की खेती की गई है लेकिन मूसलाधार बारिश होने से वहां फसल को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
पिछले एक सप्ताह के दौरान समूचे कराईकल संभाग में जोरदार वर्षा हुई है जबकि मौसम विभाग ने अगले दो तीन दिन तक वहां और भी बारिश होने की संभावना व्यक्त की है।
कुछ खेतों में कपास के पौधों में रूई के गोले (बॉल) बनने लगे हैं जिसे इस वर्षा से भारी नुकसान होने की आशंका है। कृषि विभाग ने किसानों को खेतों में जमा पानी को निकालने हेतु तत्काल आवश्यक कदम उठाने का सुझाव दिया है।
अधिकांश क्षेत्रों में खेत पानी से भरे हुए हैं और यदि जल्दी से जल्दी इसकी निकासी नहीं हुई तो कपास की फसल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकती है।
तिरुनल्गर क्षेत्र में बारिश का ज्यादा प्रकोप देखा जा रहा है। वहां खेतों में पानी जमा होने से कपास के पोहड़ों के सड़ने गलने की आशंका है जबकि रूई के गोले में नमी बढ़ने पर उसकी क्वालिटी खराब हो सकती है। कुछ क्षेत्रों में इसकी तुड़ाई-तैयारी शुरू होने वाली थी मगर अब फसल खराब होने का डर किसानों को सता रहा है।
कृषि विभाग के मुताबिक पिछले साल कराईकल संभाग में करीब 1350 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती हुई थी मगर इस बार कुछ कारणों से क्षेत्रफल घट गया। रूई का दाम भी किसानों के लिए आकर्षक नहीं रहा।
साम्बा धान की कटाई-तैयारी समाप्त होने के बाद जब खेत खाली होता है तब उसमें कपास की खेती की जाती है। विभिन्न चरणों में इसकी बिजाई हुई।
कुछ इलाकों में कपास की फसल 100 से 140 दिनों की हो चुकी है जहां इसकी तुड़ाई-तैयारी का समय आरंभ हो गया है, कुछ क्षेत्रों में 60 से 100 दिन की फसल है जिसमें रूई के बॉल लगने लगे हैं जबकि अन्य भागों में 35 से 50 दिनों की फसल अभी प्रगति के दौर में है। सबसे पुरानी फसल को सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है।