चेन्नई, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में यह जानकारी दी कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को उपग्रहों और रॉकेट प्रक्षेपण के लिये 17,631.27 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे, जिसमें से उसने फरवरी तक 6,853.37 करोड़ रुपये खर्च किये।कांग्रेस सांसद टी एन प्रथपन के सवाल का जवाब देते हुये प्रधानमंत्री कार्यालय में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने पूरा ब्योरा दिया कि इसरो को किस परियोजना के मद में कितनी राशि आवंटित की गई और उसने उसमें से कितनी राशि खर्च की।
उन्होंने बताया कि इसरो को 30 पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के लिये 6,131 करोड़ रुपये अनुमोदित किये गये, जिसमें से फरवरी 2022 तक 1,092.32 करोड़ रुपये खर्च हुये।
इसरो को तीन छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (एसएसएलवी) के लिये 169.06 करोड़ रुपये आवंटित किये गये, जिसमें से 145.82 करोड़ रुपये खर्च हुये।
अंतरिक्ष एजेंसी को 10 जीएसएलवी एमके3 रॉकेट के लिये 4,338.20 करोड़ रुपये आवंटित किये गये, जिसमें 730.12 करोड़ रुपये खर्च हुये।
दो ओसनसैट-3 और 3ए के लिये 797.12 करोड़ रुपये आवंटित किये गये, जिसमें से 471.98 करोड़ रुपये खर्च किये गये।
पांच नैविगेशन सैटेलाइट आईआरएनएसएस 1जे-1एन के लिये 964.68 करोड़ रुपये में से 403.02 करोड़ रुपये खर्च किये गये।
तीन जीसैट 22/23/24 के लिये आवंटित 865.75 करोड़ रुपये में से 483.88 करोड़ रुपये खर्च हुये।
जितेंद्र सिंह ने सदन को बताया कि इसरो इस साल एक नैविगेशन सैटेलाइट, एक अर्थ ऑब्र्जवेशन सैटेलाइट और एक संचार उपग्रह लॉन्च करेगा।
--आईएएनएस
एकेएस/एएनएम