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आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर अनुमान घटाया

प्रकाशित 08/04/2022, 10:23 pm
© Reuters.  आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर अनुमान घटाया
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मुम्बई, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने चालू वित्त वर्ष की पहली समीक्षा बैठक में वित्त वर्ष 22-23 के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांता दास ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में कच्चे तेल की कीमतों के औसतन 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहने के अनुमान के आधार पर वित्त वर्ष 22-23 के लिये जीडीपी वृद्धि दर के 16.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में चार प्रतिशत रहने का अनुमान है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, कोरोना के बाद जैसे ही हमारे क्षितिज पर प्रकाश आना शुरू हुआ, वैसे ही भू-राजनीतिक तनावों का ग्रहण हमारे आर्थिक दृष्टिकोण पर पड़ गया। हालांकि, इस संघर्ष की धुरी में रहने वाले देशों से भारत के प्रत्यक्ष कारोबारी रिश्ते सीमित हैं लेकिन इस युद्ध के कारण बढ़े कमोडिटी के दामों और वैश्विक आपूर्ति बाधाओं का असर हमारी आर्थिक रिकवरी की गति को बाधित कर सकता है।

उन्होंने साथ ही कहा कि कुछ उन्नत देशों द्वारा मौद्रिक नीति के सामान्यीकरण से वित्तीय बाजार में अस्थिरता आ गयी है और कुछ बड़े देशों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण आपूर्ति बाधा बढ़ गयी है, जिससे सेमी कंडक्टर की किल्लत हो गयी है। इन कारणों से भी आर्थिक जोखिम बढ़ गये हैं।

उन्होंने हालांकि यह उम्मीद जताई कि रबी की अच्छी फसल से ग्रामीण मांग में तेजी आयेगी और संपर्क आधारित सेवा क्षेत्र की मांग बढ़ने से शहरी मांग में तेजी आयेगी। कारोबारी भरोसा बढ़ने, बैंक ऋण में तेजी, सरकार के पूंजीगत व्यय से निवेश गतिविधियां तेज होंगी।

शक्तिकांता दास ने साथ ही कहा कि इस साल सामान्य मानसून के अनुमान, कच्चे तेल की कीमतों के औसतन 100 डॉलर प्रति बैरल पर रहने सहित अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुये चालू वित्त वर्ष के लिये महंगाई दर के अनुमान को बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत किया जा रहा है। इससे पहले चालू वित्त वर्ष के लिये महंगाई दर अनुमान 4.5 प्रतिशत था।

मौद्रिक नीति समिति ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिये महंगाई दर के 6.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

उन्होंने कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का उल्लेख करते हुये कहा कि इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों का असर महंगाई दर पर रहेगा। लॉजिस्टिक बाधा के कारण कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की लागत बढ़ने की संभावना है। लागत बढोतरी का असर खुदरा कीमतों पर पड़ता है, इसी वजह से आपूर्ति प्रबंधन पर लगातार निगरानी की जरूरत है।

गौरतलब है कि मौदिक्र नीति समिति की बैठक शुक्रवार को समाप्त हुई है। समिति ने प्रमुख ब्याज दरों का लगातार 11वीं बार यथावत रखने का निर्णय लिया है।

समिति ने रेपो दर को चार प्रतिशत पर और रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत पर पूर्ववत रखने की घोषणा की है। समिति ने 22 मई 2020 के बाद ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।

मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक छह से आठ जून को होगी।

--आईएएनएस

एकेएस/एएनएम

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