मांड्या (कर्नाटक), 13 सितंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने शुक्रवार को मांड्या जिले के नागमंगला कस्बे के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया, जहां गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान एक जुलूस पर हमला हुआ था और झड़पें हुई थीं।गणेश विसर्जन जुलूस के दौरान बुधवार रात शहर में हिंसा और दंगे हुए।
जनता दल (एस) कुमारस्वामी ने आग में जली दुकानों और शोरूम का दौरा किया और गिरफ्तार लोगों के परिवारों से भी बात की।
दौरे के बाद नागमंगला में पत्रकारों से बात करते हुए कुमारस्वामी ने आशंका जताई कि हो सकता है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पद से हटाने के लिए हिंसक घटना की साजिश रची गई हो।
उन्होंने याद दिलाया कि जब दिवंगत मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल सत्ता में थे, तब कांग्रेस नेताओं ने रामनगर और चन्नपटना शहरों में सांप्रदायिक हिंसा की साजिश रची थी।
कुमारस्वामी ने कहा, "अब, यह नागमंगला में किया जा रहा है। हालांकि, कुछ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सीएम की कुर्सी खाली नहीं है, जबकि कुछ अन्य की नजर इस पद पर है और वे अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नागमंगला सांप्रदायिक झड़प के मामले में कांग्रेस सरकार एक समुदाय को खुश करने की कोशिश कर रही है। गणेश प्रतिमा स्थापित करने वाले व्यक्ति को ही मुख्य आरोपी बनाया गया है। अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए अधिकारियों ने अंधाधुंध गिरफ्तारियां की हैं।
कुमारस्वामी ने सवाल किया, "हमारा राज्य सभी धर्मों का बगीचा है। इस घटना में निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करना गलत है। बेंगलुरु में कांग्रेस के नेता डी.जे. हल्ली और के.जी. हल्ली ने हिंसा कराई थी, जहां एक मौजूदा कांग्रेस विधायक के घर और एक थाने को दंगाइयों ने जला दिया था। उस हिंसा के लिए गिरफ्तार किए गए लोग आज दयनीय स्थिति में हैं। क्या हम नागमंगला में भी ऐसी ही स्थिति चाहते हैं?"
गृह मंत्री परमेश्वर ने इस घटना को "दुर्घटनावश हुई" और "मामूली घटना" बताया है।
कुमारस्वामी ने कहा, "एफआईआर देखने के बाद कोई भी यह विश्वास नहीं कर सकता कि वह गृह मंत्री हैं। पुलिस की विफलता साफ तौर पर दिखाई देती है। इस घटना के कारण आम लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि लोग पुलिसकर्मियों की हत्या करने के लिए एकत्र हुए थे। जो सरकार अपने पुलिसकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती, वह राज्य पर शासन कर रही है।"
उन्होंने कहा, "दंगाइयों को तलवारें लेकर घूमने की हिम्मत कहां से मिली? वे पेट्रोल बम कैसे फेंक सकते थे? किसने हिंदू भीड़ को मस्जिद के सामने 10 मिनट तक नाचने की अनुमति दी? पुलिस क्या कर रही थी? अगर अतिरिक्त पुलिस बल मौजूद होता तो स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता था।"
उन्होंने कहा कि जुलूस के दौरान एडिशनल एसपी या पुलिस इंस्पेक्टर की कोई मौजूदगी नहीं थी।
कुमारस्वामी ने सवाल किया, "शिकायत दर्ज करने वाले पुलिस इंस्पेक्टर को नाम कैसे पता? एफआईआर में कहा गया है कि झड़प में भारी भीड़ शामिल थी। फिर भी गृह मंत्री परमेश्वर कहते हैं कि कुछ नहीं हुआ था।"
कुमारस्वामी ने पूर्व विधायक सुरेश गौड़ा के आवास पर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के पीड़ितों को 25 हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक का मुआवजा भी वितरित किया।
उन्होंने गिरफ्तार व्यक्तियों के माता-पिता और परिवार के सदस्यों से वादा किया कि वह उन्हें जल्द ही रिहा करवाएंगे।
--आईएएनएस
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