गांधीनगर, 8 जून (आईएएनएस)। भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने मांग की है कि राज्य सरकार सभी कृषि बिजली उपभोक्ताओं के साथ शुल्क के मामले में समान व्यवहार करे और तदर्थ कनेक्शन और मीटर कनेक्शन के आधार पर भेदभाव न करे। अगर सरकार 15 जून से पहले फैसला नहीं करती है, तो बीकेएस जागरूकता कार्यक्रम शुरू करेगी और उसके बाद जुलाई में विरोध प्रदर्शन करेगी।बीकेएस के राज्य महासचिव रमेश पटेल ने कहा, जब न्यूनतम समर्थन मूल्य सभी किसानों के लिए समान है, तो यह (सरकार) किसानों से बिजली के लिए अलग-अलग दरें कैसे ले सकती है?
एक हॉर्स पावर तदर्थ कनेक्शन वाला किसान (जिसकी पैमाइश नहीं की जाती) प्रतिवर्ष 665 रुपये का भुगतान करता है, जो कि एक वर्ष में 100 हॉर्स पावर की खपत के लिए 66,500 रुपये है। इसके विपरीत, कृषि बिजली कनेक्शन और मीटर स्थापित करने वाले किसानों को पहले पांच वर्षो के लिए 80 पैसे प्रति यूनिट और 20 रुपये का भुगतान किया जाता है। इस तरह के शुल्क के साथ, एक किसान 100 हॉर्स पावर की बिजली की खपत के लिए सालाना 1,20,000 रुपये का भुगतान करता है। यह बिना मीटर वाले कनेक्शन के चार्ज से लगभग दोगुना है।
पटेल का दावा है, इससे किसानों के बीच अस्वास्थ्यकर प्रतिस्पर्धा होती है। बिजली कनेक्शन वाले लोग अमीर किसान नहीं होते हैं, छोटे किसान होते हैं जो समूहों में मीटर बिजली कनेक्शन के बिल साझा करते हैं, ऐसे किसान बोझ होते हैं और उनकी उत्पादन लागत बढ़ जाती है।
बीकेएस के एक पदाधिकारी ने कहा, बीकेएस ने राज्य सरकार को एक अल्टीमेटम दिया है कि उसे 15 जून तक सभी कृषि बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक सामान्य दर तय करनी होगी, और यदि ऐसा नहीं होता है तो वे तालुका स्तर पर एक जागरूकता कार्यक्रम शुरू करेंगे और एक ज्ञापन प्रस्तुत सौंपेंगे। यदि राज्य सरकार अभी भी टैरिफ पर फैसला नहीं लेती है, तब बीकेएस राज्यभर में जिला मुख्यालयों पर विरोध शुरू करेगा।
उनके मुताबिक, राज्य में 20 लाख कृषि बिजली कनेक्शन हैं, जिनमें से साढ़े चार लाख उपभोक्ताओं के पास मीटर लगे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी इन्हीं किसानों को हो रही है।
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