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आरबीआई के रेपो रेट में 50 बीपीएस की वृद्धि से ईएमआई का बढ़ना तय

प्रकाशित 05/08/2022, 09:01 pm
अपडेटेड 05/08/2022, 03:45 pm
© Reuters.  आरबीआई के रेपो रेट में 50 बीपीएस की वृद्धि से ईएमआई का बढ़ना तय

© Reuters. आरबीआई के रेपो रेट में 50 बीपीएस की वृद्धि से ईएमआई का बढ़ना तय

मुंबई, 5 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए शुक्रवार को रेपो रेट को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया, जिससे लोन पर ईएमआई बढ़ेगी।कई बैंक पहले ही अपनी उधारी दरें बढ़ा चुके हैं और कुछ केंद्रीय बैंक द्वारा इस बढ़ोतरी के बाद फिर से अपनी दरों में वृद्धि करेंगे।

ब्रांच इंटरनेशनल के वित्त प्रमुख (भारत) अंशु अग्रवाल ने कहा, सभी एनबीएफसी को बाजार से पैसा उधार लेना चाहिए और फिर ग्राहकों को उधार देना चाहिए। उधार लेने की लागत में वृद्धि के साथ एनबीएफसी को लाभप्रदता बनाए रखने के लिए उधार लागत में वृद्धि करनी होगी। आमतौर पर लोन पर ब्याज दरें परिवर्तनशील होती हैं और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रेपो लागत से जुड़ी होती हैं। इसलिए जब सरकार द्वारा रेपो रेट में बदलाव किया जाता है, तो एनबीएफसी उधार दर में बदलाव करती है। आखिरकार, उधार दर में यह वृद्धि ईएमआई में वृद्धि में तब्दील हो जाती है, क्योंकि ऋण की अवधि स्थिर रहती है।

जब भी केंद्रीय बैंक रेपो रेट बढ़ाता है तो यह मौजूदा और आने वाले कर्जदारों के लिए चिंताजनक होता है क्योंकि उनकी ईएमआई और ब्याज बढ़ता है।

आरबीआई के मानदंडों के अनुसार, बैंकों को लोन की ब्याज दरों को एक बाहरी बेंचमार्क के साथ जोड़ना आवश्यक है, जो आमतौर पर आरबीआई की रेपो रेट है। इस बीच, बैंक जमा दरों में भी वृद्धि होने की संभावना है, जिससे आम आदमी को थोड़ी राहत मिलेगी।

केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में वृद्धि के बाद, होम लोन लेने वालों के लिए लोन लेने का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि वे आमतौर पर फ्लोटिंग रेट्स पर उधार लेते हैं।

इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी के सीईओ अमित गोयल ने कहा, होम लोन की दरें अब लगभग 8 प्रतिशत प्रति वर्ष तय होने की उम्मीद है, जो मध्य और किफायती हाउसिंग सेगमेंट की मांग पर एक अल्पकालिक मनोवैज्ञानिक सेंध लगा सकती है, लेकिन हम इसे लंबे समय तक जारी नहीं देख पाएंगे।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो रेट को 50 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया।

नतीजतन, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.15 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.65 प्रतिशत समायोजित की गई।

--आईएएनएस

एसकेके/एसकेपी

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