नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत में तेजी से बढ़ते शहरीकरण, इन्फ्रास्ट्रक्चर और आर्थिक विकास के कारण इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स कंस्ट्रक्शन की गतिविधियों में काफी इजाफा हुआ है और इसकी आपूर्ति आने वाले तीन से चार वर्षों में 60 मिलियन स्क्वायर फीट को पार कर सकती है। यह जानकारी मंगलवार को एक रिपोर्ट में दी गई। वैश्विक रियल एस्टेट सलाहकार फर्म सेविल्स इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, "2020 की पहली छमाही से लेकर 2024 की पहली छमाही के बीच जनरल मैन्युफैक्चरिंग के लिए निर्माण लागत में औसतन 3.4 प्रतिशत से लेकर 6.7 प्रतिशत और ग्रेड-ए वेयरहाउसिंग के लिए निर्माण लागत में 4.8 प्रतिशत से 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।"
रिपोर्ट में आगे कहा, "समीक्षा अवधि के दौरान बड़े शहरों में कोलकाता में जनरल मैन्युफैक्चरिंग की लागत सबसे अधिक 6.7 प्रतिशत बढ़ी है। 6.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ चेन्नई दूसरे स्थान पर है। वहीं, ग्रेड-ए वेयरहाउसिंग की लागत में चेन्नई में सबसे अधिक 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और बेंगलुरु एवं हैदराबाद में दोनों में निर्माण लागत करीब 6 प्रतिशत बढ़ी है।"
रिपोर्ट में बताया गया कि इस वृद्धि की वजह कच्चे तेल, स्टील, एल्यूमीनियम, सीमेंट, श्रम, उपकरण किराये और पाइपलाइन एवं फिक्स्चर की कीमतों में इजाफा होना है।
सेविल्स इंडिया के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रबंध निदेशक, सुमित रक्षित ने कहा, "भारत एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग के हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहा है। इससे आने वाले वर्षों में मैन्युफैक्चरिंग और वेयरहाउसिंग सुविधाओं की मांग बढ़ने की उम्मीद है। हम अगले 3 से 4 वर्षों में इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स प्रोजेक्ट्स की लागत में मामूल बढ़ोतरी देखेंगे।"
रिपोर्ट के अनुसार, ''बढ़ती लागत के बावजूद भारत लागत-प्रतिस्पर्धी बना हुआ है, किफायती श्रम और अपेक्षाकृत कम सामग्री लागत के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे विकसित देशों की तुलना में मैन्युफैक्चरिंग और वेयरहाउसिंग के लिए निर्माण खर्च काफी कम है।"
सेविल्स इंडिया के इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक्स के प्रबंध निदेशक श्रीनिवास एन ने कहा, “बाजार की बढ़ती मांग, सहायक सरकारी नीतियों, एफएमसीजी और एफएमसीडी, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान, ईवी और संबंधित क्षेत्रों में वृद्धि के कारण मैन्युफैक्चरिंग और वेयरहाउसिंग क्षेत्रों में पर्याप्त निर्माण हो रहा है। "
उन्होंने कहा, "ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) मानकों को पूरा करने के लिए टिकाऊ और ऊर्जा-कुशल इमारतों की मांग बढ़ने की संभावना है, जिससे इंडस्ट्रियल और वेयरहाउसिंग क्षेत्रों में ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्रैक्टिस को अपनाया जाएगा।"
--आईएएनएस
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