नई दिल्ली, 18 अगस्त (आईएएनएस)। कोरोना महामारी के बाद से यूजीओवी दिवाली खर्च सूचकांक, दिवाली पर उपभोक्ताओं की खरीदारी पर नजर रखता है। इस साल के आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी भारतीयों में खर्च करने की प्रवृत्ति 94.45 है, जो 2021 में 90.71 और 2020 में 80.96 थी। यह अर्थव्यवस्था में रिकवरी को दिखाता है। सूचकांक की गणना 10 कारकों के प्रभाव के रूप में की गई है (जैसे सकल घरेलू आय में वृद्धि, घरेलू खचरें में वृद्धि/कमी, निवेश करने की मंशा या अर्थव्यवस्था के प्रति सामान्य आशावाद) जो दिखाता है कि इस दीवाली में पिछले दिनों की तुलना में अधिक/कम खर्च करने के इरादे पिछले साल से किस स्तर पर हैं।
10 कारकों में से त्योहार के लिए उनकी प्रत्याशा एक प्रमुख कारक है। एक तिहाई से अधिक (35 प्रतिशत) ने इस बात से सहमति व्यक्त की मैं इस साल दिवाली की प्रतीक्षा कर रहा हूं क्योंकि बाकी साल कोविड-19 के कारण काफी सुस्त रहा है।
इसके अलावा, दस में से लगभग तीन (27 प्रतिशत) शहरी भारतीय इस बात से सहमत थे कि वे सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था के बारे में आशावादी महसूस करते हैं।
अन्य 27 प्रतिशत लोगों का दावा है कि उनकी सकल घरेलू आय एक साल पहले की तुलना में अधिक है, जो पिछले साल 19 प्रतिशत से अधिक थी। शहरी भारतीय इस साल खर्च करने के लिए बेहतर स्थिति में दिख रहे हैं।
भले ही सुधार हुआ हो, लेकिन खर्च में सबसे बड़ी बाधा अनिश्चितता का डर बना हुआ है। जितने लोगों ने 2021 में कहा था कि वे अपने वित्त के साथ अधिक सावधान हैं, पिछले साल भी उन्होंने यही कहा था।
जनता में उत्साह तो है। 36 प्रतिशत शहरी भारतीय उत्तरदाताओं ने कहा कि वो पिछले साल की तुलना में इस साल दिवाली पर ज्यादा खर्च कर सकते हैं। यह पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है, जहां 29 प्रतिशत और 17 प्रतिशत लोगों ने 2020 और 2021 में दिवाली के दौरान अधिक खर्च करने को तैयार थे।
--आईएएनएस
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