इस्लामाबाद, 1 सितंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का बेलआउट कार्यक्रम फिर से शुरू किए जाने के बाद स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) को 1.16 अरब डॉलर की लंबित किस्त मिली। इससे देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने की संभावना है। देश का वित्तीय बाजार इस समय अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा में गिरावट जारी है।पाकिस्तान के लिए आईएमएफ द्वारा लगाए गए अनुमानों के अनुसार, देश की अर्थव्यवस्था लगभग 3.5 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी, लेकिन औसत मुद्रास्फीति दर लगभग 19.9 प्रतिशत अनुमानित है। हालांकि इस बीच बाढ़ ने देश के एक तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है।
आईएमएफ ने ऋण के आकार को 6 अरब डॉलर से बढ़ाकर 6.5 अरब डॉलर करने की भी मंजूरी दी है।
आईएमएफ बेलआउट पैकेज का शुरुआती कार्यकाल सितंबर 2022 में समाप्त होना था। हालांकि, आधे से अधिक राशि का वितरण नहीं किया गया, जिसका मुख्य कारण है इमरान खान की पूर्व सरकार का आईएमएफ के साथ सौदे की प्रतिबद्धताएं पूरी करने में विफल रहना।
मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार को देश को पूरी तरह से आर्थिक मंदी में डूबने से बचाने के लिए अलोकप्रिय और कठिन निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। यही कारण था कि आईएमएफ की मांग पर सरकार ने पेट्रोलियम, बिजली और गैस की कीमतें बढ़ाने का बड़ा फैसला लिया और देश को गंभीर मुद्रास्फीति में धकेल दिया।
वित्तमंत्री मिफ्ताह इस्माइल के अनुसार, फैसले मजबूरी में लिए गए, क्योंकि आईएमएफ की पूर्व-शर्तो का पालन न करने पर पाकिस्तान के माली हालात श्रीलंका जैसे हो जाएंगे, क्योंकि देश दिवालिया होने की ओर बढ़ रहा था।
हालांकि, अब जब आईएमएफ खैरात पैकेज को पुनर्जीवित किया गया है और पाकिस्तान के लिए विस्तारित फंड सुविधा (ईएफएफ) के तहत सातवें और आठवें समीक्षा के 1.16 अरब डॉलर के संयुक्त किस्त के साथ फिर से सक्रिय किया गया है। पाकिस्तान में वित्तीय बाजार विकास के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहा है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये का मूल्य बढ़ना शुरू हो गया है।
केंद्रीय बैंक ने कहा, यह एसबीपी के विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार करने में मदद करेगा और बहुपक्षीय और द्विपक्षीय स्रोतों से अन्य नियोजित प्रवाह की प्राप्ति की सुविधा भी प्रदान करेगा।
आईएमएफ के उप निदेशक एंटोनेटर सईह ने कहा, ऊर्जा क्षेत्र की व्यवहार्यता को मजबूत करने और ईंधन शुल्क और ऊर्जा शुल्कों में निर्धारित वृद्धि का पालन करने सहित निरंतर नुकसान को कम करने के प्रयास भी जरूरी हैं।
आईएमएफ ने इस बात पर भी जोर दिया है कि पाकिस्तान को उच्च ब्याज दरों और बाजार द्वारा निर्धारित विनिमय दर की नीति का पालन करते रहने की जरूरत है।
--आईएएनएस
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