नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे में 56 प्रतिशत से अधिक समाशोधन और ग्रबिंग (सीएंडजी) काम पहले ही निपटाया जा चुका है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश को दिल्ली-एनसीआर के अलावा राज्य के पूर्वी हिस्सों से जोड़ने वाली एक्सप्रेसवे परियोजना में भूमि अधिग्रहण सौ प्रतिशत पूरा हो चुका है।
गौरतलब है कि गंगा एक्सप्रेसवे पर हवाई पट्टी की लंबाई भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विमानों के आपातकालीन टेक-ऑफ और लैंडिंग में मदद करेगी, जो विदेशी ताकतों के खिलाफ देश को रणनीतिक बढ़त भी प्रदान करेगी। राज्य में तीन एक्सप्रेस-वे पर पहले से ही हवाई पट्टी है। इनमें से दो हवाई पट्टियां वायु सेना, आगरा और हिंडन के दो हवाई अड्डों के करीब स्थित हैं। आने वाले गंगा एक्सप्रेस-वे से देश की सुरक्षा व्यवस्था और बेहतर होगी।
अधिकारियों ने बताया कि एक्सप्रेसवे की अनूठी पहलू यह है कि यह लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, पूर्वाचल एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे के माध्यम से राज्य के अन्य एक्सप्रेसवे को जोड़ेगा। 594 किलोमीटर लंबा छह लेन का एक्सप्रेसवे बेहतर कनेक्टिविटी का रास्ता खोलेगा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को राज्य के पूर्वी हिस्सों और दिल्ली-एनसीआर से जोड़ेगा। इससे राज्य के आर्थिक और औद्योगिक विकास को और बढ़ावा मिलेगा।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि 12 जिलों के 519 गांवों से गुजरने वाला गंगा एक्सप्रेसवे इस तरह यूपी के बुनियादी ढांचे की मजबूत रीढ़ के रूप में उभरेगा।
यूपी एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को सरकार द्वारा एक्सप्रेसवे (मेरठ, हापुड़, बरेली, मुरादाबाद, हरदोई, लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज) के दोनों किनारों पर समर्पित औद्योगिक पार्क बनाने के लिए अधिकृत किया गया है।
एक्सप्रेसवे कृषि और औद्योगिक आय और विकास को बढ़ावा देगा। यह खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, एमएसएमई, गोदामों, मंडियों और दूध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए उत्प्रेरक के रूप में भी कार्य करेगा। यह राष्ट्रीय राजधानी के साथ विभिन्न उत्पादन इकाइयों, विकास केंद्रों और कृषि उत्पादन क्षेत्रों को जोड़ने वाली एक औद्योगिक पाइपलाइन भी होगी।
--आईएएनएस
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