नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। रुपये में व्यापार को बढ़ावा देने के भारतीय केंद्रीय बैंक के प्रयास ्नरंग ला रहे हैं। यूको बैंक को रूस के गजप्रॉमबैंक में एक विशेष रुपया वोस्ट्रो खाता खोलने के लिए आवश्यक आरबीआई की मंजूरी मिल रही है। इससे दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार को सुगम बनाने और सहयोग के नए उद्योग क्षेत्रों की खोज करने में मदद मिलेगी।भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई 2022 में भारतीय रुपये (आईएनआर) में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान के लिए एक तंत्र स्थापित किया, ताकि मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के दीर्घकालिक लक्ष्य को पूरा किया जा सके और वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ाया जा सके। यह कदम भारतीय निर्यातकों और आयातकों को रुपये में मूल्यवर्ग के व्यापार को निपटाने के लिए विशेष रुपया वोस्ट्रो अकाउंट्स का उपयोग करने की अनुमति देता है।
यूको बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सोमा शंकर प्रसाद ने कहा कि यूको बैंक अपने रूसी समकक्ष के साथ खाता खोलने से पहले परिचालन के तौर-तरीकों को दुरुस्त करेगा। हालांकि लेन-देन कब शुरू होगा, इस पर कोई स्पष्ट समयरेखा नहीं है, लेकिन नए वित्तीय आदेश की दिशा में पहला कदम पहले ही उठाया जा चुका है।
रूसी संघ के खिलाफ अपनाए गए कई प्रतिबंधों के बीच भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार कई महीनों से फल-फूल रहा है। भारतीय व्यवसायों ने बिना किसी हिचकिचाहट के खाली जगह भरने का अवसर लिया।
रूसी सरकार भी आर्थिक शून्य को भरने के लिए नए व्यवसायों को आसानी से देश में प्रवेश करने में मदद कर रही है। नियामक अनुपालन को कारगर बनाने और कुछ शुल्क माफ करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए जा रहे हैं। नतीजतन, निर्यातकों और प्रमुख घरेलू खुदरा श्रृंखलाओं सहित कई भारतीय व्यवसायों ने अवसर का लाभ उठाने के लिए रूसी व्यवसायों के साथ सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं।
यूरोपीय देशों के साथ संबंधों में व्यवधान के कारण रूस में पेट्रोलियम उत्पादों, लौह और अलौह धातुओं और कोयले जैसी वस्तुओं की अधिक आपूर्ति हुई है। यह इन निर्यात वस्तुओं की कीमतों में व्यवस्थित गिरावट का कारण भी बन गया है। इससे भारतीय आयातकों को अतिरिक्त लाभ होता है। पेट्रोलियम, गैस, हीरे, उर्वरक, लोहा, इस्पात और कागज में प्रमुख लाभ हुआ है। मई तक, रूस पहले से ही भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था।
इन प्रभावशाली आंकड़ों के बावजूद, अभी और वृद्धि की गुंजाइश है। विभिन्न विशेषज्ञों का अनुमान है कि व्यापार शुल्क को हटाने और नए व्यापार मार्गो के विकास को मानते हुए, द्विपक्षीय व्यापार क्षमता 25-30 अरब डॉलर है। रूसी एल्युमीनियम टाइकून और ईएन प्लस ग्रुप के संस्थापक ओलेग डेरिपस्का ने हाल ही में कहा था कि मास्को भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को अगले दशक में 120-150 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने के लिए कनेक्टिविटी, पूंजी बाजार और वित्तीय बुनियादी ढांचे का निर्माण (जैसा कि यूरोप के साथ दशकों से बनाए गए मॉडल के समान है) करना चाहता है।
उत्तर-दक्षिण मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के विकास के साथ, देशों के पास ईरान के माध्यम से सबसे छोटा व्यापार मार्ग होगा जो पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग के लिए उद्योगों की सूची का विस्तार कर सकते हैं।
भारत और रूस पारंपरिक क्षेत्रों से परे जाकर रेलवे, परिवहन, लॉजिस्टिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, खनिज और धातु विज्ञान जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग कर अपने ट्रेड बाजार और आर्थिक आदान-प्रदान में काफी विविधता ला सकते हैं, जो द्विपक्षीय संबंधों को और गति देगा।
एल्युमीनियम उद्योग में मुख्यत: पावर ग्रिड (NS:PGRD) के विकास के कारण सहयोग विकसित होने की संभावना है। वर्तमान अनुमानों के अनुसार, आने वाले वर्षो में भारत में अतिरिक्त एल्युमीनियम की मांग का 1/3 से अधिक विद्युतीकरण की उच्च दर के कारण केबल उद्योग से आएगा। अन्य सहयोग क्षेत्रों में मोटर वाहन उद्योग और प्राथमिक एल्यूमीनियम और सेमी-फिनिश्ड प्रोडक्टस की आपूर्ति शामिल है।
स्पष्ट रूप से, द्विपक्षीय व्यापार विकसित करना दोनों देशों के लिए एक जीत का परि²श्य है।
इसके अलावा, एक बार जब भारतीय सामान रूस में प्रवेश करते हैं, तो अन्य सीआईएस देशों के बाजारों तक उनकी पहुंच होगी, इसलिए द्विपक्षीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए दोनों सरकारों के निरंतर प्रयास उनकी अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं और राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार का विकास इस रास्ते पर सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है।
--आईएएनएस
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